राजेश ने अपकेंद्रित्र यानी सेंट्रीफ्यूज से बाहर कदम रखा और एक गहरी सांस भर कर उसे देखा. गागरिन अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में अंतरिक्ष यात्रा का प्रशिक्षण ले रहे चार सदस्यों के भारतीय दल का कप्तान था वह. बाकी के लोग उसे कप्तान राजेश कह कर संबोधित करते थे.
आज प्रशिक्षण का अंतिम दिन था. रूस के प्रशिक्षकों के मुताबिक चारों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लिया था और वापस भारत लौटने के लिए वे चारों तैयार थे.
भारतीय अंतरिक्ष संस्था के अगले मिशन में बारीबारी से दोदो की टीमों में इन चारों को भेजा जाने वाला था. राजेश ने तीनों को इकट्ठा किया और उन से अपनी वापस भारत यात्रा की तैयारी के बारे में पूछा. सभी तैयार थे.कुछ घंटों बाद, अपने सामान सहित, चारों अंतरिक्ष यात्रियों के इस दल ने मोस्को से बेंगलुरु की उड़ान भरी और हिंदुस्तान पहुंचे.
उस दिन आराम करने के बाद, अगले दिन प्रारंभिक पूछताछ के पश्चात अंतरिक्ष यात्रा विभाग के निदेशक रामादुंडी ने उन्हें अपने कमरे में बुलाया.निदेशक रामादुंडी को इसी संस्था में काम करते हुए 30 से भी अधिक वर्ष हो गए थे.
निदेशक रामादुंडी ने चारों को बिठाया और यहांवहां की दोचार बातें करने के बाद कहा, “मिशन की तारीख आ चुकी है.”चारों मानो खुशी से उछल गए. उन्होंने कभी सपने में भी इस बात की उम्मीद नहीं की थी.निदेशक रामादुंडी ने चारों को गंभीर निगाहों से देख कर कहा, “सिर्फ एक बात मैं तुम को बताना चाहता हूं”, फिर कुछ रुक कर उन्होंने संकोच से कहा, “इस मिशन का नेतृत्व मंजिशी जोबला करेंगी.”
यह सुन कर चारों भौंचक्के से रह गए. कप्तान राजेश को मानो काटो तो खून नहीं.राजेश ने हैरानी से कहा, “सर, लेकिन उस ने तो अंतरिक्ष यात्रा का हमारे साथ कोई प्रशिक्षण भी नहीं लिया है.”इस पर निदेशक रामादुंडी बोले, “मंजिशी पूरी तरह से प्रशिक्षित है.”