वंदना पीजी से निकल कर बाहर रोड पर आ गई. मोबाइल में टाइम देखा. 8 बज रहे थे. मैट्रो स्टेशन पहुंच कर देव को देख कर चौंकी, ‘‘तुम? इतनी जल्दी आ गए?’’
जवाब में देव ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आज तुम भी तो समय से पहले आ गई हो.’’
‘‘हूं,’’ वंदना के मुंह से निकला.
‘‘कल संडे था. कहां रहीं?’’ देव ने पूछा.
‘‘कहीं नहीं.’’
‘‘आज कहीं जाना है शाम को?’’
‘‘नहीं.’’
‘‘तो चले कहीं?’’
‘‘नहीं.’’
‘‘क्यों?’’
‘‘देव, बताना जरूरी तो नहीं है,’’ वंदना उस के किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहती थी. उसे अचानक पता नहीं क्या हो गया. थोड़ी देर पहले बहुत खुश थी. देव के बारे में सच जान कर कहीं उदासी फैल गई थी.
देव भी हैरान था कि आखिर अचानक क्या हो गया? चेहरा मुरझाया सा क्यों लग रहा है?
तभी ट्रेन आ गई. भीड़ अंदर समा गई. 1 मिनट में ट्रेन चल भी दी. अंदर घुसने पर गरमी से राहत मिली. वंदना की चोर नजरें देव को तलाश रही थीं... बैठा होगा किसी कोने में. वैसे भी कल की देवकी से हुई मुलाकात का उस पर मिश्रित असर हुआ था... सिर झटक कर सामने बैठी नवविवाहिता को देखने लगी. लड़की गहरे लाल रंग के पंजाबी सूट में थी. उस ने खूब गहरा मेकअप कर रखा था. मांग सिंदूर से लाल थी. उम्र 23-24 के आसपास थी. कैसे इस उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती है... जब वह इस उम्र में थी तो तब उस के जीवन में अमित आया था. तब वह मुंबई में थी.
ये भी पढ़ें- Family Story: झिलमिल सितारों का आंगन होगा
अतीत खिसक कर आगे आ गया था...