रूही ने विद्रूप मुसकान के साथ कहा, ‘‘देख तू उस का घर तोड़ रही है.’’
मैं संयत स्वर में बोली, ‘‘मैं नहीं उन की शादी की घुटन इस के लिए जिम्मेदार है, मेरा और उस का रिश्ता शीशे की तरह साफ है. रूही अगर वह बाहर भी सैक्स कर के आएगा तो मुझे पता होगा और न मैं इस बात पर कोई बवाल करूंगी... जब तक हम एक साथ होते हैं बिना किसी तीसरे की परछाईं के.’’
‘‘मैं और वह इस बंधन में एकदम आजाद हैं और यही इस रिश्ते की खूबसूरती है.’’
रूही बोली, ‘‘तो शादी कर ले, बंदा देखनेभालने में बुरा नहीं है.’’
मैं बोली, ‘‘शादी के बाद मैं उस की जागीर बन जाऊंगी. मैं उस के साथ ऐसे ही खुश हूं.’’
रूही को कुछ समझ नहीं आ रहा था, इसलिए उठते हुए बोली, ‘‘तुम्हें पता है समाज में तुम जैसी औरतों को क्या बोलते हैं?’’
मैं ने कहा, ‘‘रूही तुम्हारे समाज में ऐसे आदमियों को क्या बोलते हैं जो शादीशुदा होने के बाद भी मेरे जैसी औरतों में खुशी की तलाश करते हैं?’’
और फिर मैं ने संयत स्वर में कहा, ‘‘रूही मेरी जैसी औरतों को समाज में चीयर गर्ल बोलते हैं, जो समाज की सोच से डरे और थके हुए मर्दों को चीयर करती हैं.’’
वह बारबार मुझे फोन मिला रहा था. इन लमहों को वह किसी के साथ
भी नहीं बांटना चाहता था और रूही का फोन पिछले 2 घंटों में साइलैंट था.
अब जब बच्चें स्कूल जाते तो वह माह में 1 बार घर भी आने लगा था पर हम दोनों न किसी से कुछ पूछते या कहते थे. कभीकभी अगर मैं कुछ कहना चाहती, उस से पहले ही वह टोक देता, ‘‘इस के लिए एक बीवी ही काफी है मेरी जिंदगी में उस की जगह लेने की कोशिश मत करो.’’