लौटते हुए मिहिम बोला, ‘‘काफी रात हो गई है आलोक भैया. मैं ताप्ती को छोड़ दूंगा... आप को भी देर हो रही होगी.’’
आलोक का मन था वे फिर से ताप्ती के घर जाएं पर प्रत्यक्ष में कुछ न बोल सके.
रास्ते में मिहिम ताप्ती से बोला, ‘‘ताप्ती, अपनी मम्मी की गलती मत दोहराओ. यह तुम्हारा रास्ता नहीं है. गलत आदमी से प्यार करने का नतीजा आंटी के साथसाथ तुम ने भी भोगा है.’’
ताप्ती बोली, ‘‘तुम क्या कह रहे हो, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है.’’
मिहिम समझाते हुए बोला, ‘‘तुम्हें तुम से ज्यादा जानता हूं और दिल के हाथों मजबूर होना मुझ से अधिक कौन जानेगा.’’
‘‘आलोक भैया एक बेहद सुलझे हुए इंसान हैं पर अपने ससुर के बहुत एहसान हैं उन पर या यों कहूं उन का यह मुकाम उन के ससुर की वजह से है तो गलत न होगा. अपनी उलझनों को मत बढ़ाओ, लौट आओ.’’
ताप्ती के दिल का चोर जानता था यह सच है. वह न जाने क्यों आलोक की तरफ झुकी जा रही है. उन का रुतबा या उन का व्यक्तित्व क्या उसे खींच रहा है, उसे नहीं मालूम. पर गुस्से में उस ने मिहिम को अंदर भी नहीं बुलाया और धड़ाक से कार का दरवाजा बंद कर के चली गई.
रातभर वह मिहिम की बात पर विचार करती रही और फिर निर्णय ले लिया कि वह कोई भी बहाना बना कर ट्यूशन से मना कर देगी.
जब वह सोमवार को ट्यूशन लेने पहुंची तो देखा अनीताजी भी वहीं हैं. उसे देख कर मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘ताप्ती, तुम ने आरवी की शौपिंग में मदद करी, थैंकयू सो मच.’’