दिनभर की भागदौड़. फिर घर लौटने पर पति और बच्चों को डिनर करवा कर रश्मि जब बैडरूम में पहुंची तब तक 10 बज चुके थे. उस ने फटाफट नाइट ड्रैस पहनी और फ्रैश हो कर बिस्तर पर आ गई. वह थक कर चूर हो चुकी थी. उसे लगा कि नींद जल्दी ही आ घेरेगी. लेकिन नींद न आई तो उस ने अनमने मन से लेटेलेटे ही टीवी का रिमोट दबाया. कोई न्यूज चैनल चल रहा था. उस पर अचानक एक न्यूज ने उसे चौंका दिया. वह स्तब्ध रह गई. यह क्या हुआ? सुधीर ने मैट्रो के आगे कूद कर सुसाइड कर लिया. उस की आंखों से अश्रुधारा बह निकली. उस का मन किया कि वह जोरजोर से रोए. लेकिन उसे लगा कि कहीं उस का रोना सुन कर पास के कमरे में सो रहे बच्चे जाग न जाएं. पति संभव भी तो दूसरे कमरे में अपने कारोबार का काम निबटाने में लगे थे. रश्मि ने रुलाई रोकने के लिए अपने मुंह पर हाथ रख लिया, लेकिन काफी देर तक रोती रही. शादी से पूर्व का पूरा जीवन उस की आंखों के सामने घूम गया.
बचपन से ही रश्मि काफी बिंदास, चंचल और खुले मिजाज की लड़की थी. आधुनिकता और फैशन पर वह सब से ज्यादा खर्च करती थी. पिता बड़े उद्योगपति थे. इसलिए घर में रुपयोंपैसों की कमी नहीं थी. तीखे नैननक्श वाली रश्मि ने जब कालेज में प्रवेश लिया तो पहले ही दिन सुधीर से उस की आंखें चार हो गईं.
‘‘हैलो आई एम रश्मि,’’ रश्मि ने खुद आगे बढ़ कर सुधीर की तरफ हाथ बढ़ाया. किसी लड़की को यों अचानक हाथ आगे बढ़ाता देख सुधीर अचकचा गया. शर्माते हुए उस ने कहा, ‘‘हैलो, मैं सुधीर हूं.’’