नंदिनी सकपका गई, कैसे बोलती कि वह आरव, जोकि उस का दामाद है, के प्रति खिंचाव महसूस कर रही है. बस, प्रशांत से यह ही बोल पाई, ‘कुछ नहीं, आप भी चलते मेरे साथ तो मुझे तसल्ली रहती. वह यह बात प्रशांत को कैसे बता सकती थी कि वह अपनी बेटी के घर जाते हुए एक किशोरी की तरह महसूस कर रही है, उस का दिल तेज़ी से धड़क रहा है ठीक वैसे ही जैसे किशोरावस्था में धड़कता था.
जब नंदिनी एयरपोर्ट से बाहर निकली तो आरव बाहर ही खड़ा था. नांदिनी को देखते ही वह बोला, ‘आप को नहीं पता, मैं कितना खुश हूं कि अब आप मेरे साथ रहोगी. कितनी अच्छी लग रही हो आप इस पस्टेल कलर के सूट में. जरा मेरी बीवी को भी कुछ सिखा दीजिए.’
नांदिनी चुप रही, बस मुसकराती रही. रास्ते में आरव और वह एक नई किताब पर चर्चा करते रहे थे.
जब नंदिनी आरव के साथ घर पहुंची तो घर का और कायरा का हाल देख कर नंदिनी चकरा गई थी. नंदिनी को आरव का अपने प्रति झुकाव का कारण आज समझ आ गया था. नहा कर जब नंदिनी बाहर आई तो देखा कायरा ने चाय बना ली थी. चाय एकदम बेस्वाद बनी थी. नंदिनी को बहुत भूख लगी हुई थी, इसलिए चाय के बाद उस ने कायरा से कहा- ‘कायरा, लाओ मैं नाश्ता बना देती हूं.’ रसोई का भी बुरा हाल था लेकिन फिर भी किसी तरह जुगाड़ कर के नंदिनी ने बेसनी परांठे और आलू की सब्जी बना दी. कायरा ने जल्दीजल्दी नाश्ता खाया लेकिन आरव की तो तारीफ़ ही ख़त्म नहीं हो रही थी. कायरा नाश्ते के बाद अपने कमरे में बंद हो गई थी. आरव और नंदिनी ‘माया मेमसाहब’ मूवी देख रहे थे.