आज की व्यस्त ग्राहकी जितनी होनी थी, वह भी लगभग हो चुकी है. अब वह जानेमन के पास जाएगा, शायद, वह अपने बाल संवार रही होगी या तकिया सीने पर टिकाए कुछ सोच कर हंस रही होगी. आज उस के लिए कोई सुंदर सी ना...नहीं...नहीं... यह जरा जल्दबाजी होगी. जरा रुक जाता हूं, कल या परसों ही कोर्ट में विवाह कर के एक नए दिन में नई शाम होगी, तब सब ले आऊंगा. यह जिंदगी अब मेहरबान हो गई है, तो भला हड़बडी़ कर के काम क्यों करना. देर शाम तक उस से बातें करूंगा और एक बढ़िया फिल्म दिखाने हर रविवार को ले जाऊंगा और ढाबे पर छोलेकुलचे या पावभाजी हो जाए, तो होने वाले सुंदर लमहे सुनहरे हो जाएंगे.
ये विचार करतेकरते उस के मन का बोझ हलका होने लगा और वह खुद को दुनिया का सब से सुखी मर्द मानने लगा. जिसे इतनी औरतों ने बेहिसाब प्यार किया, उस को अब एक सलोनी पत्नी मिलने जा रही है. यहां तो वह बेपनाह इश्क में कोई कमी छोड़ेगा ही नहीं. मोनिका कितनी कोमलता से 2 चपाती सेंक कर परोस देती है, स्वाद ऐसा आता है जैसे सादी रोटी नहीं, घी का हलवा खा रहे हों. मोनिका ने कितनी उम्मीद से खुद को उस के इंतजार में अब तक सजाया होगा. यह सब सोचसोच कर वह यों ही लहालोट हुआ जाता था. उसी मखमली अंदाज में वह भी अपनी पत्नी मोनिका में प्यार के सुरों को पिरोएगा. उसी अंदाज़ में उस के होंठों पर अपने होंठ रख मधुर, मीठा, रसीला, आनंद, सुख आदि ये सब भाव एकएक कर के उस को गुदगुदा रहे थे. वह ही जानता था कि पिछले 48 घंटे उस ने कैसे काटे थे? मालिक ने उस को 2 दिनों के लिए यहां से सौ किलोमीटर दूर काशीपुर भेजा था. वहां पर 2 हफ्ते बाद ही सहकारी समिति का मेला होने वाला था. उस को वहां जा कर 2 बैठकों मे शामिल हो कर सब फाइनल कर के आना था.