शुभम कुछ दिनों से महसूस कर रहा था कि पड़ोस में रहने वाले गिरिजा शंकर की पत्नी अपनी बालकनी से अकसर उसे देखती है.
एक दिन शुभम ने उस के घर के सामने से गुजरते हुए उसे मुयकरा कर नमस्ते कहा तो उस ने भी झेंप कर नमस्ते का जवाब दिया और फिर नजरें नीची कर के अंदर चली गई. इस के बाद वह जब भी अपनी बालकनी में आती और शुभम दिखाई देता तो वह हलके से मुसकरा देती.
फिर एक दिन वह बाजार में सब्जी खरीदते हुए दिख गई. शुभम को देखते ही उस के चेहरे पर मुसकान खिल गई. उस की नजरों ने शुभम को आमंत्रित किया तो शुभम ने भी आगे बढ़ कर उस के हाथों से सब्जी का थैला लिया. उस ने शुभम को धन्यवाद और फिर दोनों घर तक बातें करते आए.
उस का नाम नीलिमा है. उस का पति पोस्ट औफिस में हैड क्लर्क. पति सुबह 9 बजे औफिस चला जाता और देर रात लौटता तो अकसर नशे में होता. वह आता और खाना खा कर सो जाता. नीलिमा सारा दिन अकेली होती. इस शहर में उन का कोई रिश्तेदार या दोस्त नहीं था. जब से शुभम उस के पड़ोस में रहने आया था तभी से नीलिमा उस से अट्रैक्ट थी.
नीरस जिंदगी में रंग
शुभम और नीलिमा के बीच शुरू हुआ फ्लर्ट का सिलसिला अब दोस्ती और प्यार में तबदील हो चुका है. दोनों आपस में अपने सुखदुख बांटते हैं. नीलिमा की नीरस जिंदगी में रंग भर गए हैं. वह अब सजतीसंवरती है, बढि़या खाना बनाती है, जिस का एक हिस्सा शुभम के घर भी जाता है. नीलिमा अब अपने घर को खूब साफसुथरा और व्यवस्थित रखने लगी है क्योंकि शुभम अकसर वहां आने लगा है.