डस्की ब्यूटी अभिनेत्री नंदिता दास का नाम भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व भर में जाना जाता है. थिएटर ग्रुप ‘जन नाट्य मंच’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाली नंदिता को क्रिएटिविटी जन्म से मिली है.
दिल्ली में पलीबढ़ी नंदिता के पिता जतिन दास जानेमाने पेंटर और मां वर्षा लेखिका हैं. भूगोल में स्नातक की परीक्षा पास कर नंदिता ने सोशल वर्क में मास्टर डिग्री हासिल की है. उन की शुरू से ही कुछ अलग करने की इच्छा रही, जिस में साथ दिया उन के मातापिता ने, जिन्होंने उन्हें कभी किसी काम से नहीं रोका.
कई हिंदी फिल्मों में नंदिता ने बेहतर प्रदर्शन किया. दीपा मेहता की फिल्म ‘फायर’ में उन के काम को काफी सराहना मिली, जिस में उन्होंने होमोसैक्सुअलिटी पर अभिनय किया था. इस के बाद ‘हजार चौरासी की मां’, ‘हरीभरी’, ‘बवंडर’ आदि कई फिल्में कीं. नंदिता ने करीब 10 भाषाओं की फिल्मों में अभिनय किया और सभी फिल्मों में उन के काम को सराहना मिली.
स्वभाव से शांत नंदिता का निजी जीवन काफी उतारचढ़ाव भरा रहा है. 2002 में उन्होंने सौम्या सेन से शादी की, लेकिन 2009 में उन का तलाक हो गया. इस के बाद उन्होंने मुंबई के व्यवसायी सुबोध मस्कारा से शादी की. उन से उन का बेटा विहान है.
नंदिता दास को उन के अचीवमैंट के लिए 9वीं संकल्प ग्लोबल समिट ने पुरस्कार से नवाजा है. नंदिता कोई बात कहने से हिचकिचाती नहीं. जो सही नहीं लगता उसे डट कर कहती हैं. यही वजह है कि उन्होंने लीक से हट कर फिल्मों में काम किया.
अपने कैरियर को यहां तक पहुंचाने के बारे में नंदिता कहती हैं, ‘‘हर व्यक्ति अपनी पहचान बनाना चाहता है, लेकिन वह कैसे बनेगा, यह उस व्यक्ति को खुद सोचना पड़ता है. मेरे लिए यह आसान नहीं था. मेरी स्किन टोन सांवली है. अत: मैं ऊंचे दर्जे की अभिनेत्री नहीं बन सकती. मगर मेरे अंदर कई हुनर थे, जिन्हें मैं ने उभारने की कोशिश की, खुद को किसी भी बंधन में नहीं बांधा, जो काम मिला करती गई. इस दौरान मुझे हर बार यह एहसास भी दिलाया गया कि मैं एक औरत हूं और वो काम नहीं कर सकती जो दूसरे करते हैं. असमानता की यह परिभाषा मुझे बारबार याद दिलाई गई, पर मैं उस की परवाह किए बिना यहां तक पहुंची हूं.’’