अमूमन हौरर फिल्में दर्शकों को अपने डरावने घटनाक्रमों के कारण बांधकर रखती हैं. मगर हौरर फिल्म ‘‘लुप्त’’ में बेसिर पैर केदृश्य दर्शकों को सिनेमाघर से बाहर निकल जाने के लिए ही उकसाते हैं.

फिल्म की कहानी के केंद्र में लखनऊ के उद्योगपति हर्ष टंडन (जावेद जाफरी) व उनका परिवार है. उद्योगपति हर्ष टंडन (जावेद जाफरी) के परिवार में उनकी पत्नी (निक्की अनेजा), उनका बेटा सैम (ऋषभ चड्ढा) व बेटी तनु (मीनाक्षी दीक्षित) है. तनु का प्रेमी एक फोटोग्राफर राहुल (करण आनंद) है. हर्ष टंडन की तमन्ना व्यापार में एक बहुत बड़ा मुकाम पाना है. जबकि उनके बेटे सैम को हर किसी के साथ मजाक व प्रैंक करते रहने की आदत है.

हर्ष टंडन को नींद न आने की बीमारी है, उन्हे हमेशा कुछ अजीबोगरीब चीजें दिखायी देती हैं. जिसके चलते उनका इलाज कर रही मनोवैज्ञानिक डाक्टर उन्हे कुछ दिन किसी खूबसूरत स्थान पर छुट्टी मनाने के लिए जाने की सलाह देती है. हर्ष अपने पूरे परिवार के साथ कार में बैठकर लखनऊ से नैनीताल के लिए रवाना होते हैं. रास्ते में उनकी कार खराब हो जाती है. तो उन्हे एक अजनबी (विजय राज) के घर पर रुकना पड़ता है. जहां कुछ डरावनी घटनाएं घटती हैं.

फिल्म की कहानी अच्छी है, मगर पटकथा लेखक ने पूरी फिल्म का सत्यानाश कर डाला. फिल्म के दृश्यों का सिर पैर सब कुछ समझ से परे है. इंटरवल से पहले कुछ रोचक दृश्यों के चलते दर्शक सब्र कर जाता है. मगर इंटरवल के बाद दर्शकों के सब्र का बांध टूट जाता है और उसके दिमाग में सिर्फ यही चलता रहता है कि उसे इस कष्ट से कितनी देर में छुटकारा मिलेगा.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो एक भी कलाकार प्रभावित नहीं करता. हर किसी का अभिनय बहुत ही ज्यादा घटिया है और इसके लिए पूर्णरूपेण निर्देशक ही जिम्मेदार हैं. वह जावेद जाफरी व विजय राज जैसे मंजे हुए कलाकार की प्रतिभा का भी सही उपयोग नहीं कर पाए. फिल्म किसी भी स्तर पर दर्शकों को बांध नहीं पाती है. विजय राज व जावेद जाफरी इस फिल्म का हिस्सा बनने के लिए क्यों तैयार हुए, यह समझ से परे है. इस फिल्म के कैमरामैन भी ठीक से काम नहीं कर पाए.

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