25 मई 2014 को 13 वर्षीय लड़की पूर्णा मालावात ने एवरेस्ट की उंची चोटी पर पहुंचकर एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन गयी थी. उसी लड़की की कहानी को सिनेमा के परदे पर राहुल बोस लेकर आए हैं. कम बजट में बनी यह फिल्म कुछ कमियों के बावजूद देखने लायक व प्रेरणा दायक फिल्म है. पहाड़ों की चढ़ाई में रूचि न रखने वाले भले ही इसका ज्यादा आनंद न ले सकें, मगर एक 13 वर्षीय लड़की की कहानी उन्हे अंत तक बांधकर रखती है.
फिल्म ‘पूर्णा’ की कहानी आंध्र प्रदेश के एक गांव की लड़की पूर्णा मालावत(अदिति इनामदार)की कहानी है. घर के आर्थिक हालात बहुत खराब हैं. वह सरकारी स्कूल की फीस भी नहीं दे सकती. पूर्णा के साथ उसकी चचेरी बहन प्रिया(एस मारिया) भी पढ़ती है. एक दिन प्रिया को पता चलता है कि एक स्कूल ऐसा भी है, जहां रहकर पढ़ाई करनी होती है और वहां पर फीस नहीं लगती. इसके अलावा वहां पर भरपेट व अच्छा भोजन भी मिलता है. प्रिया व पूर्णा योजना बनाकर घर से भागने की तैयारी करती हैं. मगर प्रिया का खड़ूस पिता उन्हे पकड़ लेता है.प्रि या की कम उम्र में ही शादी हो जाती है.
इधर पूर्णा के पिता अपने भाई के मुकाबले कम कठोर हैं. उनके पास पूर्णा की शादी के लिए उस वक्त पैसे नहीं थे, इसलिए वह दो तीन साल तक पढ़ने के लिए पूर्णा को सरकारी बोर्डिंग स्कूल में भेज देते हैं. बोर्डिंग स्कूल का घटिया खाना देखकर पूर्णा गुस्साती है और बोर्डिंग स्कूल छोड़कर भागती है. उधर अमरीका से पढ़ाई करके डॉ. आर.एस. प्रवीण कुमार(राहुल बोस)लौटे हैं, जो कि मुख्यमंत्री(हर्षवर्धन) व अन्य अफसरों के साथ बैठकर बातें कर रहे हैं. मुख्यमंत्री प्रवीण को पुलिस विभाग में भेजना चाहते हैं, पर वे स्कूल के निरीक्षण अधिकारी बनना चाहता है.