'उड़ता पंजाब' को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी के बाद अब अनुराग कश्यप की आने वाली फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर-3' के विरोध की पटकथा लिखी जा रही है.
झारखंड के धनबाद जिले के वासेपुर कस्बे के लोगों ने इसके विरोध का फैसला किया है. लोगों का मानना है कि फिल्म पहले के दोनों पार्ट में वासेपुर की गलत छवि दिखाई गई है जिसके कारण वहां के लोगों की बदनामी हुई है.
वार्ड काउंसलर निसार आलम का कहना है कि 2012 में इस फिल्म के पहले पार्ट के आने के बाद वासेपुर में अपराध का ग्राफ बढ़ गया है. वो बताते हैं कि अब लोग वासेपुर में अपनी बेटियों की शादी करने से कतरा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वासेपुर के ही जीशान कादरी, फिल्म के सह पटकथा लेखक अपने स्वार्थ के लिए यहां की गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं, जबकि वासेपुर के सामाजिक ताना बाना में कौमी एकता की मिठास है. वो कहते हैं कि कई दूसरी अच्छी बातें भी हैं, जिन्हें शोकेस किया जा सकता था.
बकौल निसार आलम, "इस कस्बे के लोग आईएएस, आईआईटी इंजीनियर, डॉक्टर और पुलिस में बड़े अधिकारी हैं. फिल्म तो इन खूबियों पर भी बनाई जा सकती है."
वासेपुर की आरा मोड़ कालोनी के निवासी रुस्तम अंसारी ने बताया कि कोलकाता में उन्हें होटल वालों ने सिर्फ इसलिए कमरा नहीं दिया क्योंकि वे वासेपुर से हैं.
ऐसा अनुभव दूसरे ग्रामीणों का भी है. लोगों ने बताया कि होटल वाले रेसिडेंशल प्रूफ देखते ही कमरों के बुक्ड होने का बहाना बना देते हैं.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के धनबाद जिलाध्यक्ष बबलू फरीदी मानते हैं कि इस फिल्म के कारण वासेपुर के युवाओं पर गलत असर पड़ रहा है और इसलिए फिल्म के पार्ट-3 का विरोध होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी.