मशहूर फिल्म निर्देशक जोड़ी अब्बास मस्तान के अब्बास अपने बेटे मुस्तफा बर्मावाला को बौलीवुड में बतौर कलाकार पेश करने के लिए रोमांटिक रोमांचक फिल्म ‘‘मशीन’’ लेकर आए हैं, जो कि उनकी पिछली कई फिल्मों का मुरब्बा है. फिल्म देखकर नहीं लगता कि एक पिता व चाचा ने अपने बेटे व भतीजे के करियर को संवारने के लिए फिल्म बनायी है.
फिल्म की कहानी के केंद्र में हिमाचल प्रदेश में रहने वाली सारा थापर (कियारा अडवाणी) हैं. सारा थापर दान करने में माहिर हैं. वह एक स्कूल के लिए आवश्यक धन जल्द मुहैया करने का वादा कर अपने घर की तरफ रवाना होती हैं, रास्ते में सड़क पर तेल पड़ा होता है, जिसके चलते सारा की कार खराब हो जाती है. वह रुकती हैं, पीछे से आ रही कार चालक को रुकने के लिए कहती है. यह कार चालक रंश (मुस्तफा बर्मावाला) है. रंश की कार से अपने घर तक पहुंचने के बाद सारा उसे कार रेस में आने का निमंत्रण देती हैं. जब वह कार रेस में जाती हैं, तो पता चलता है कि रंश भी एक प्रतियोगी है. उस दिन वह कार रेस रंश जीत जाता है और सारा हार जाती हैं. रंश, सारा से कहता है कि उसे डर नहीं लगता. क्योंकि उसके पास खोने को कुछ नहीं है. वह ब्रेक पर बिना पैर रखे कार चलाता है. पता चलता है कि रंश भी सारा के ही कालेज ‘वुडस्टाक’ का छात्र है. कालेज में आदित्य (ईशान शंकर) से सारा की अच्छी दोस्ती है. कालेज के एक छात्र विक्की की आदित्य से अनबन है. एक दिन जब प्यार के पुल के पास आदित्य से मिलने सारा जाती है, तभी एक कार आदित्य को कुचल देती है और कार नदी में गिर जाती है. पुलिस को नदी से विक्की की लाश मिलती है.