जब से अभिनेत्री रवीना टंडन असहिष्णुता के मुद्दे पर भाजपा के समर्थन में तथा अपनी फिल्म ‘मातृ’ के प्रति सेंसर बोर्ड के कठोर रवैए के बावजूद बहुत सधे हुए शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया दी है, तब से बॉलीवुड में चर्चांएं गर्म हैं कि रवीना टंडन बहुत जल्द भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बन राजनीति से जुड़ने वाली हैं.

हाल ही मैं रवीना टंडन से खास मुलाकात के दौरान जब हमने उनसे राजनीति से जुड़ने का सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि नहीं!! मैं सिर्फ अच्छे लोगों का समर्थन करती हूं. बचपन में मेरे पिताजी सुनील दत्त के साथ काम करते थें. उन दिनों मैं राजीव गांधी की प्रशंसक थी. पर इसके यह मायने नहीं है कि मैं कांग्रेस या किसी खास दल की समर्थक हूं. सभी जानते हैं कि सुनील दत्त लोगों के लिए काम किया करते थें.

हां! असहिष्णुता के मसले पर मैंने भाजपा का साथ दिया. क्योंकि मेरा मानना है कि किसी भी इंसान को अपने देश को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. अपने देश के नागरिक होने के नाते मैंने कहा कि दूसरों के सामने अपने देश को शर्मिंदा ना करें. इसके लिए आपको मेरा लॉजिक समझना पड़ेगा. हिंदुस्तान एक ऐसा देश है, जिसने सभी को अपनाया है. फिर चाहे मुसलमान हो, पुर्तगीज हों, ब्रिटिश हों. हमने उन्हें अपनाया भी है और बार बार लूटे भी गए हैं. हमारा कोहीनूर लंदन में पड़ा हुआ है.

मुझे अपने देश से प्यार है. मैं देशभक्त हूं. जब राष्ट्रगीत बजता है, उस वक्त हम घर पर होते हैं, तब भी खड़े हो जाते हैं. मैं आज भी लता मंगेशकर का गाया गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों..’ सुनती हूं, तो मेरी आंखों से आंसू बहने लगते हैं. जब वॉशिंगटन पोस्ट सहित कई विदेशी अखबारों में मैंने खबरें पढ़ी की भारत असहिशुष्ण देश है, तो मैंने अपने देश के उन लोगों का विरोध किया, जो देश को शर्मिंदा करने वाले बयान दे रहे थे. देखिए,जब आप दुनिया के सामने यह तस्वीर पेश करते हैं कि भारत में सड़कों पर किसी को भी मारा जा सकता है और लोग इस देश को छोड़कर जाना चाहते हैं, तो आप बताएं कौन विदेशी कंपनी हमारे देश में आकर व्यापार करना चाहेगी? कौन सी विदेशी कंपनी हमारे देश में इंवेस्ट करना चाहेगी?

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