फिल्म ‘मासूम’ के गाने ‘हुजूर इस कदर भी न इतरा कर चलिए...’ में एक गोरे मझोले से कलाकार का आंचल लहरा कर कर झूमना सभी को याद होगा. वह औसत कद वाला गोराचिट्टा, चेहरे पर नवाबी नजाकत, रोबीली मूंछों और दिलकश मुसकान वाला कलाकार सईद जाफरी था, जो पिछले दिनों 86 साल की उम्र में इस दुनिया से रुखसत हो गया.
सईद साहब में अभिनय का गजब का जनून था. तभी तो 1981 में आई फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में वे किसी भी तरह से संजीव कुमार से कमतर नहीं दिखे थे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय से शिक्षा पाने वाले सईद साहब ने दिल्ली में औल इंडिया रेडियो से अंगरेजी भाषा के एनाउंसर के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. बाद में कई थिएटर भी किए. कई सारे पड़ावों को पार करने के बाद 1981 में आई फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ और 1982 में आई रिचर्ड ऐटनबरो की फिल्म ‘गांधी’ के बाद ‘चश्मेबद्दूर’, ‘मासूम’, ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘दिल’, ‘हिना’ और ‘त्रिमूर्ति’ जैसी फिल्मों में उन के रोल यादगार रहे. उन्होंने ऐक्ट्रैस और ट्रैवल राइटर मेहरुन्निमा से शादी की थी, लेकिन यह शादी 1965 में टूट गई थी. 1980 में उन्होंने जेनिफर जाफरी से शादी की. उन की 3 बेटियां मीरा, जिया और सकीन जाफरी हैं. अभिनय की बारीकियों को बड़े ही संजीदा ढंग से परदे पर पेश करने वाले सईद जाफरी बौलीवुड के हर दौर में याद रखे जाएंगे, क्योंकि कहते हैं कलाकार कभी मरता नहीं उस की कला हर समय जिंदा रहती है.