अपने देश में फिल्मों में ‘एक छत्र राज’ का चलन है. यह बीते जमाने में भी था, आज भी है और शायद आगे भी रहेगा. इस एक छत्र राज के कारण कई फिल्में अपने असल मकाम तक नहीं पहुंच पाती. कुछ तो सीबीएफसी के ऑफिस में ही दम तोड़ देती हैं और कुछ को दर्शकों का अभाव ले डूबता है. देश में कई फिल्मों को इतिहास में उनकी पटकथा के लिए नहीं बल्कि इसलिए जगह मिली क्योंकि उसमें सैंकड़ों दिलों पर राज करने वाले सुपरस्टार ने अभिनय किया था. भले ही स्टोरी से लेकर सिनमेटोग्राफी तक घटिया और बेकार क्यों न हो?
पर बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में भी बनीं जिन्हें सफल होने के लिए किसी सुपरस्टार के कंधों की जरूरत नहीं पड़ी. अपने दमदार स्टोरीलाइन और किरदारों के अभिनय से कुछ फिल्मों ने हिन्दी सिनेमा इंडस्ट्री पर गहरी छाप छोड़ी है-
1. बी.ए पास (2013)
शिल्पा शुक्ला, शादाब कमल, राजेश शर्मा जैसे कलाकारों ने इस फिल्म में काम किया था. समाज सुधारक बन चुकी सीबीएफसी ने इस फिल्म को पास कैसे कर दिया, यह समझना थोड़ा मुश्किल है. इस फिल्म की जितनी तारीफें की जाए कम है. इस फिल्म में शायद ही कोई बड़ा नाम या चेहरा था, पर इस फिल्म ने ढेर सारी कमाई की. मोहन सिक्का की लघु कथा ‘द रेलवे आंटी’ पर यह फिल्म बनाई गई थी.
2. पिपली लाइव (2010)
सखी सैंया तो खूबई कमात है... गाना तो सुना ही होगा. महंगाई के ऊपर बेहतरीन गाने वाली इस फिल्म को आमिर खान ने प्रोड्यूस किया था. भारत में किसानों की आत्महत्या और उस पर नेताओं और मीडिया की प्रतिक्रिया पर यह फिल्म कटाक्ष करती है. यह फिल्म मात्र 16 करोड़ के बजट में बनी थी. इस फिल्म को पूरी दुनिया में बहुत सारी तारीफें मिली.