हिंदी सिनेमा जगत और हौलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने वाली प्रियंका चोपड़ा जोनास के नाम से कोई अछूता नहीं. एक्ट्रेस होने साथ-साथ वह मिस वर्ल्ड विनर 2000, फिल्म निर्माता और सिंगर भी है. उसने हर तरह की फिल्में की और नाम कमाया. वह आज भी जो बात गलत होती है, उसे कहने से नहीं हिचकिचाती. उसने अभिनय के बल पर यह सिद्ध कर दिया है कि कलाकार की कोई जाति, धर्म, रंग भेद, देश या समुदाय नहीं होती. उसका काम केवल अभिनय करना होता है, जिसे वह आज भी कर रही है.

वह भारत को अपना पहला घर मानती है और हर दो महीने में परिवार से मिलने आ जाती है. इसके अलावा वह ग्लोबल यूनिसेफ गुडविल अम्बेसेडर भी है, जो भारत, श्री लंका, बांग्लादेश आदि देशों में बच्चो के ग्रोथ के लिए काम करती है, ताकि ये बच्चे सही तरह से ग्रो कर पूरी दुनिया को प्रभावित करें. उसकी फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में वह एक मां की भूमिका निभा रही है, जो अपनी लाइलाज बीमारी से ग्रसित लड़की को बहुत जतन से परवरिश करती है और इस दौरान वह कई भावनात्मक पहलूओं से गुजरती है. 3 साल की ब्रेक के बाद वह इस फिल्म को लेकर बहुत उत्साहित है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- आपको ग्लोबल आइकौन कहा जाता है, क्या महसूस करती है?

बहुतअच्छा लगता है जब एक कलाकार को इतना बड़ा सम्मान मिलता है. मैंने एक कोशिश कला को फ़ैलाने की है और अगर लोग ऐसा मानते है, तो ख़ुशी होती है.

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