पौपुलर टीवी व फिल्म एक्ट्रेस शमा सिकंदर 21 वर्ष के अपने करियर में हर माध्यम पर काम कर चुकी हैं. उन्होने करियर व जिंदगी के बीच सामंजस्य बैठाना सीख लिया है. शमा सिकंदर खुद को ‘‘महिला सशक्तीकरण और उत्थान’’की ध्वजवाहक मानती हैं.

खुद शमा सिकंदर कहती हैं-‘‘सिनेमा ने मुद्दों को मुख्यधारा में लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. तो वहीं महिलाओं ने स्क्रीन सेल्यूलाइड के परदे पर महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले किरदार निभाए.  और ऐसा कई दशकों से होता रहा है.  फिर चाहे वह फिल्म‘मदर इंडिया’में नरगिस दत्त का किरदार रहा हो. फिल्म‘अर्थ’में शबाना आजमी हों या फिल्म‘कहानी’में विद्या बालन हो. अथवा फिल्म ‘‘शोले’’में बसंती के किरदार में हेमा मालिनी का अभिनय रहा हो. क्या हम ‘मदर इंडिया’या ‘शोले’की बसंती को कभी भुला सकते हैं. देखिए, महिलाओं के लिए सदैव मुद्दे सर्वोपरि रहे हैं और कोई भी मुद्दा ऐसा नहीं है,जिस पर महिलाएं आंखें मूंदे रहें. हमें मुद्दों को स्वीकार करना होगा और समाज को एक समाधान की ओर बढ़ना होगा.

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फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’में श्रीदेवीजी का किरदार भी इसी दिशा में एक सफल प्रयास था. श्रीदेवी ने तमाम फिल्मों में बेहतरीन काम किया.  भारतीय फिल्में पूरे विश्व में आधुनिक भारतीय महिला का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. हम इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि राष्ट्रव्यापी रूप से हमारे पास हर क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण का एक समान स्तर है और महिलाओं और पुरुषों के नेतृत्व में एक बड़ा सामूहिक प्रयास करना होगा. मैं सभी से फिल्म देखने का आग्रह करती हूं. यह इस महिला दिवस पर आप सबसे अच्छी बात कर सकते हैं. महिला सशक्तीकरण पर ‘‘थप्पड़’’एक बेहतरीन फिल्में बनी है.  और सभी महिलाएं इसे देखने के बाद अपने लिए एक स्टैंड लेंगी. ‘‘

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