हमारी जिंदगी से जुड़ी इस फिल्म एक छोटे से शहर से आयी पंजाबी लड़की बेबी बेदी की कहानी बयां करती है, जिसे अपने चाचा से एक सेक्स क्लीनिक विरासत में मिलती है. उसके पूरे सफर के दौरान, यह फिल्म दर्शकों को इस बात का एहसास कराती है कि इस देश के ज़्यादातर हिस्सों में सेक्स अभी भी एक टैबू बना हुआ है और हमारे समाज में सेक्स के से जुड़ी ग़लत सोच को तोड़ने के लिए एक मुहीम छेड़ती है.

इस फिल्म के निर्माताओं ने सेक्स से जुड़े टैबू और इससे जुड़ी समस्याएं हमारे समाज में लगभग सभी के आम सुख-शांति पर कैसे असर डालती हैं इस बात  का विश्लेषण करने और उसे पेश करने के लिए एक मजाकिया तरीका अपनाया है. इतना ही नहीं, इस फिल्म हमें यह बात की झलक मिलती है कि कैसे एक पुरुष प्रधान समाज सेक्स से जुड़ी समस्याओं की वकालत करने वाली और खुलेआम उनका इलाज करने वाली लड़की के प्रति प्रतिक्रिया करता है.

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इस फिल्म के बारे में बात करते हुए, सोनाक्षी ने कहा, "मैंने इस फिल्म में काम करने का फ़ैसला किया उसकी ख़ास वजह इसका सब्जेक्ट है और कैसे यह आज के ज़माने से जुड़ा हुआ है. मुझे खुशी है कि शिल्पी ने हमारे देश में सेक्स टैबू के बारे में एक फिल्म बनाने का फैसला किया. .. यह एक बहुत ही हिम्मत की बात है. मैं लोगों को बेबी बेदी की टैगलाइन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहूंगी , जो है, शर्माओ मत, बात तो करो!"

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