धारावाहिक ‘दिया और बाती हम’ में भाबो की भूमिका निभाकरचर्चित हो चुकी अभिनेत्री नीलू वाघेला राजस्थान की है. बचपन से अभिनय की शौक़ रखने वाली नीलू एक थिएटर आर्टिस्ट भी है. 11 वर्ष की उम्र से उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा है. उनकी फिल्म ‘बाई चाली सासरिया’काफी सफल फिल्म रही, जिसे हिंदी में रीमेक फिल्म ‘साजन का घर’ बनी.
आजतक करीब 50 राजस्थानी फिल्में और 5 गुजराती फिल्में कर चुकी नीलूअत्यंत शांत और मृदु भाषी है. उनके इस कदम को उनके परिवार वालों ने बहुतसहयोगदिया है.अपनी सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता और अपने पति अरविन्द कुमार को देती है. इन दिनों वह दंगल टीवी पर प्रसारित धारावाहिक ‘ऐ मेरे हमसफ़र’ में माँ, प्रतिभा देवी की भूमिका निभा रही है, जिसमें उन्हें अभिनय करना बेहद अच्छा लग रहा है. उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की, पेश है कुछ अंश.
सवाल-इस शो की खास बात क्या है, जिससे आप करने के लिए राजी हुई?
इस शो में मैं प्रतिभा देवी की भूमिका निभा रही हूं, जो घरेलू महिलाओं के लिए एक प्रोत्साहन है. राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में महिलाएं पति के गुजर जाने के बाद, पढ़ी-लिखी होने पर भी घर में रह जाती है. बच्चों के भविष्य के लिए कुछ इसलिए कर नहीं पाती, क्योंकि वे वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर नहीं होती, ऐसे में उनकी व्यक्तित्व ही ख़त्म हो जाती है. सास-ससुर और किसी बड़े से खुलकर कह नहीं सकती कि उन्हें काम करना है. गांव घर में ऐसी छोटी-छोटी समस्याओं को भी बड़े रूप में देखा जाता है. मेरी इस भूमिका में मैं घर के काम करके भी मसालों का व्यवसाय करती हूं, जो धीरे-धीरे देश-विदेश में पोपुलर हो जाता है और मैं उन महिलाओं को भी जोड़ रही हूं, जो खुद ऐसी काम कर घर खर्च चलारही है और उनकी आत्मनिर्भरता भी बढ़ रही है. यही इस भूमिका में ख़ास है, जो महिलाओं के अंदर एक जागरूकता पैदा कर सकती है. लॉकडाउन में मुझे ये भूमिका मिली और मेरे लिए यह एक चुनौती रही है. मैंने हमेशा अपनी भूमिका को अच्छा करने की कोशिश की है, ताकि मैं दर्शकों की उम्मीद पर खड़ी उतरूँ.