दीवाली के त्योहारों के दिन खुशी और उल्लास से भरपूर होते हैं, इसलिए चाहे युवा हों या वयस्क सभी इन दिनों खुशी से झूम उठते हैं. डांडिया रास, गरबा नृत्य, दीवाली पार्टियां, दीवाली मेले बहुत कुछ होता है इन दिनों और खुशी का यह माहौल साल में एक बार ही आता है, इसलिए हर कोई अपने आप को इस से सराबोर कर लेना चाहता है.
लेकिन हर खुशी के साथ कोई न कोई परेशानी भी अवश्य आती है. इस दौरान रात्रिजागरण खूब होता है. देर रात तक डांस करना, देर से सोना, देर से जागना, फिर पढ़ना, कालेज या औफिस जाना या घर में काम निबटाना यानी कई काम आप को दिन में करने पड़ते हैं, जिन्हें करना मुश्किल होता है. इस के साथ ही कई दिन नींद न पूरी होने की वजह से बीमार पड़ जाने की आशंका भी रहती है.
फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलौजिस्ट डा. गिरीश नायर का कहना है कि किसी उत्सव या पार्टी को मनाते वक्त व्यक्ति यह भूल जाता है कि उस ने सही नींद नहीं ली है. इस से कई बार तो उस की वह बीमारी जो पहले से है वह बढ़ जाती है या फिर नई बीमारी की शुरुआत हो जाती है.
इस के आगे डाक्टर बताते हैं कि नींद 2 तरह की होती है. गहरी नींद, जिस में व्यक्ति अगर 5 घंटे भी सो ले तो बौडी रिलैक्स हो जाती है. दूसरी कच्ची नींद, जो भले ही 8 घंटे की हो बौडी रिलैक्स नहीं होती. देर रात सोने से बौडी और मस्तिष्क पर जो प्रभाव पड़ता है वह निम्न है: