कुछ दिनों तक वह अपनी तकलीफ नजरअंदाज करती रही. समय के साथ उस के हाथों और उंगलियों में सूजन आने लगी. डॉक्टर ने जांच के बाद पाया कि उसे रूमेटॉयड आर्थराइटिस (आरए) है. श्रुति को लगा कि उस के डौक्टर से शायद कोई गलती हुई है क्यों कि आर्थराइटिस होने के लिए उस की उम्र अभी बहुत ही कम है. वह अपने परिवार के कुछ ऐसे लोगों को जानती थी जो आर्थराइटिस से पीडि़त थे लेकिन उन में से किसी की भी उम्र 50 वर्ष से कम नहीं थी.

युवाओं में यह एक आम सोच है कि आर्थराइटिस बुजुर्गों की बीमारी है इसलिए उन में से अधिकांश अपनी हड्डियों की सेहत को ले कर सतर्क नहीं रहते हैं. उन्हें लगता है कि वे अभी यंग हैं. लेकिन अब लोगों को अपनी सोच बदलने का समय आ गया है. उन्हें यह मान लेना चाहिए कि आज के समय में युवाओं को भी किसी भी तरह की बीमारी हो सकती है. जरुरी है कि उस से दूर भागने की जगह समय रहते उपचार करवाएं.

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इस बात का भी ख्याल रखें कि अपनई सेहत अपने हांथों में ही होती है. समयसमय पर जांच और शरीर की देखभाग हर तरह की समस्याओं से बचा सकती है. मूल रूप से ओस्टियोआर्थराइटिस आर्थराइटिस का ही एक रूप है जो कि उम्र के बढऩे पर अधिक पाई जाती है लेकिन रूमेटॉयड आर्थराइटिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है.

सच तो यह है कि आर्थराइटिस से पीड़ित युवाओं की संख्या में अचानक ही काफी तेजी आ गई है. यह परेशानी खासकर ऑफिस जाने वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती है. वे अक्सर जोड़ों के दर्द, सूजन या कड़ेपन की शिकायत करते हैं. इस के कई कारण हो सकते हैं लेकिन सब से बड़ा कारण है गलत जीवनशैली और कमजोर डाइट. आज के युवा न तो व्यायाम में दिलचस्पी लेते है और न ही उन में खानपान की स्वस्थ आदत का विकास हो पाता है.

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