वो लोग जो एचआईवी पॉजिटिव हैं, उनके लिए सिगरेट का धुंआ इस वायरस से भी अधिक खतरनाक है. एचआईवी की तुलना में सिगरेट एचआईवी पॉजिटिव लोगों को अधिक नुकसान पहुंचाता है और उनमें जीने की क्षमता को कम करता है. खतरनाक सिगरेट के धुंए पर यह शोध हाल ही में जर्नल में प्रकाशित हुई है.

एक इंसान जो एचआईवी से पीड़ित है और एचआईवी मेडीसिन लेने के साथ ही स्मोक भी करता है, वह एचआईवी के बजाय स्मोकिंग संबंधी बीमारी से पहले मरता है. अध्ययन से पता चलता है कि धूम्रपान बंद कर देने से एचआईवी पॉजिटिव इंसान अपने जीने की क्षमता में काफी हद तक सुधार कर सकते हैं.

अन्य बीमारी होने का खतरा ज्यादा

अब एचआईवी-स्पेसफिक मेडीसिन्स भी वायरस से लड़ने में अधिक कारगर हैं. इन दवाईयों के अलावा एचआीवी पॉजिटिव कपल्स जो अन्य उपाय भी अपनाते हैं वो भी उनकी जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करते हैं. जबकि एचआईवी पॉजीटिव इंसान जब स्मोक करता है तो उसमें दिल की बीमारी, कैंसर, गंभीर तरह के फेफड़ों की बीमारी और अन्य संक्रमण होने का खतरा, स्वस्थ इंसान की तुलना में अधिक बढ़ जाता है.

ध्रुमपान से कम हो जाती है छह साल की जिंदगी

40 साल की उम्र से अधिक के वे पुरुष और महिला जो एचआईवी ट्रीटमेंट लेते हैं और ध्रुमपान भी करते हैं, उनमें ध्रुमपान ना करने वाले एचआईवी पॉजिटिव लोगों की तुलना में जिंदगी के 6.7 और 6.3 साल कम हो जाते हैं. अगर इसी उम्र के समूह के लोग ध्रुमपान करना छोड़ देते हैं तो उनके जिंदगी में 5.7 और 4.6 साल की बढ़ोतरी हो जाती है. यहां तक की 60 साल का एचआईवी पीड़ित मरीज (पुरुष और महिला दोनों) ध्रुमपान बंद कर अपनी जिंदगी में दो साल की बढ़ोतरी कर सकते हैं.

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