दिन भर काम करने के बाद अगर रात को बगल में लेटा व्यक्ति जोर-जोर से खर्राटे ले रहा हो, तो गुस्सा आना स्वाभाविक है. यों तो खर्राटे लेना किसी को भी पसंद नहीं होता, पर जिस व्यक्ति को खर्राटे आ रहे हैं वह खुद उनसे अनजान होता है. उसे इस बात का जरा भी एहसास नहीं होता कि उसके खर्राटे की वजह से उसके आसपास के लोग परेशान हो रहे हैं. खर्राटे आना कई बार एक बीमारी बन जाती है. इस बीमारी को स्लीप एपनिया भी कहा जाता है.
रात में सोते समय खर्राटे आने की कई वजहें हैं. आइये जानते हैं इसके बारे में-
गले के पिछले हिस्से का संकरा होना
जब हमारे गले का पिछला हिस्सा संकरा होता जाता है तब खर्राटे की समस्या जन्म लेती है. दरअसल, जब गले का पिछला हिस्सा संकरा हो जाता है तब औक्सीजन उस रास्ते से होकर जाती है और तब आसपास के ऊतक कंपित होने लगते हैं और खर्राटे आने लगते हैं.
सांस के रास्ते में अवरोध
खर्राटे आने की मूल वजह सांस के रास्ते में अवरोध को माना जाता है. जब हमारे शरीर में कार्बनडाइ औक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और औक्सीजन कम हो जाता है तब औक्सीजन की पूर्ति के लिए हम सांस लेने की कोशिश करते हैं और सांस के रास्ते में अवरोध आने की वजह से खर्राटे आते हैं.
पीठ के बल सोना
जो लोग पीठ के बल सोते हैं उन्हें भी यह समस्या हो जाती है. जब पीठ के बल सोते हैं तो हमारी जीभ पीछे की ओर हो जाती है, जिससे वह तालू के पीछे मूर्धा पर जाकर लग जाती है और सांस लेने और छोड़ने में दिक्कत होती है. इस तरह हमारे ऊतक कंपन करने लगते हैं और खर्राटे आने लगते हैं.