वातावरण में तरहतरह के वायरस मौजूद हैं. ये दिखते नहीं हैं. शरीर के बाहर ये मृतप्राय होते हैं लेकिन शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं. वायरस को विषाणु कहते हैं जिस का शाब्दिक अर्थ विष होता है. इंसानों पर वायरसों के भिन्नभिन्न असर होते हैं.
पत्रपत्रिकाओं, विशेषकर मैडिकल जर्नल्स, में प्रकाशित स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लेखों से हासिल जानकारी को यहां पेश किया जा रहा है.
नजला :
वायरसों से होने वाले असर के ज़िक्र में सब से पहले नज़ला यानी ज़ुकाम की बात करते हैं. बता दें कि नजला को नैसोफेरिंजाइटिस नाम से भी जाना जाता है. हवा में 200 से अधिक क़िस्मों के वायरस हैं जिन की वजह से नज़लाज़ुकाम हो जाता है. इन में एक का नाम रीनो वायरस है जबकि कोरोना वायरस परिवार के भी कुछ वायरस हैं जिन से इंसान को ज़ुकाम होने के साथ निम्न समस्याएं हो सकती हैं-
* सांस के सिस्टम के ऊपरी भाग में तकलीफ़
* नाक बंद हो जाना
* गले में इन्फैक्शन
* नाक से पानी बहना
* छींकें आना
नजलाजुकाम के ये लक्षण काफ़ी हलके होते हैं.
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इन्फ्लुएंजा
श्लैष्मिक ज्वर यानी इन्फ्लुएंजा हवा में फैले एक विशेष समूह के वायरसों से होने वाला संक्रामक रोग है. यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत तेज़ी से फैलता है. संक्रमण के शुरुआती 5 दिनों के भीतर यह एक से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से स्थानांतरित होता है. इस के संक्रमण से ये दिक्कतें होती हैं -
* बुख़ार
* सिरदर्द
* थकन, बदन में दर्द
* कभीकभी नाक से पानी बहना, छींकें आना और गले में दर्द
* फ्लू के लक्षण ज़ुकाम से ज़्यादा तकलीफदेह होते हैं.
* कुछ लोगों की भूख मर जाती है, कुछ को दस्त आने लगता है या पेट में दर्द होता है.
* केस अगर ज्यादा बिगड़ जाए तो फ्लू से भी फेफड़ों में इन्फैक्शन हो जाता है.