सर्दियों का मौसम सभी के लिए बड़ा सुहावना होता  है और हो भी क्यों न, क्योकि इस सुहाने  मौसम में हर किसी के लिए कुछ न कुछ त्योहार होता है और इस दौरान हम सभी अपने रिश्तेदारों एवं दोस्तों के साथ मिलकर समय बिताते हैं और खुलकर जश्न मनाते है, लेकिन सर्दियों में व्यक्ति की दिनचर्या भी थोड़ी सिमित भी हो जाती है, इससे स्वास्थ्य पर इसका असर दिखता है और ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है, क्योंकि वर्कआउट कम हो जाता है. सर्दियाँ हमारे दिल को कमजोर  बना देती है, लेकिन थोडा ध्यान इसे तंदुरुस्त बना सकती है.

ठण्ड  के महीनों में लोगों में दिल की बीमारियों और स्ट्रोक की वजह से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दिखाई देती  है. सेहतमंद जीवन-शैली को अपनाकर दिल की किसी भी बीमारी से बचा जा सकता है. इस वजह से समय-समय पर जाँच कराना और डॉक्टर्स से सलाह लेना बेहद जरुरी होता है, ताकि इन बीमारियों का शुरुआत में ही पता लगाया जा सके और सही समय पर उनका इलाज किया जा सके.

इस बारें में न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के डॉ. विज्ञान मिश्रा कहते है कि कई अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि, गर्मियों की तुलना में सर्दियों में होने वाला हार्ट-अटैक जानलेवा साबित हो सकता है, जिसके कुछ ख़ास समय होते है मसलन सर्दियों के मौसम में सुबह के समय और एन्जाइना, दिल के दौरे और दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियों का खतरा सबसे अधिक होता है.

रिस्क फैक्टर है क्या

  • ठंड की वजह से ब्लड वेसल्स (धमनियाँ) सिकुड़ जाती हैं. इससे ब्लड-प्रेशर (रक्तचाप) बढ़ जाता है, जो दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे का कारण बन सकता है.
  • सर्दियों में ठंड की वजह से कोरोनरी धमनियों के सिकुड़ने के कारण एन्जाइना या कोरोनरी हृदय रोग के चलते सीने में दर्द के मामले बढ़ जाते हैं और कई बार स्थिति काफी बिगड़ सकती है.
  • सर्दियों में शरीर के तापमान को एक-समान बनाए रखने के लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. सर्दियों में शरीर का तापमान बड़ी तेजी से घटता है, और सर्द हवाओं की वजह से परेशानी अधिक बढ़ सकती है.
  • हाइपोथर्मिया (ऐसी अवस्था, जिसमें शरीर का तापमान काफी गिर जाता है) होने पर अगर आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री से कम हो जाए, तो आपके दिल की मांसपेशियों को काफी नुकसान हो सकता है.

शारीरिक गतिविधियों में कमी

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