40 साल की सुधा का वजन अचानक बढ़ने लगा, किसी काम में उसका मन नहीं लगता था रह-रहकर उसे घबराहट होती थी, उसने डाइट शुरू कर दिया, लेकिन उसका वजन कम नहीं हो रहा था. परेशान होकर उसने अपनी जांच करवाई और पता चला कि उसे थाइराइड है. दवाई लेने के बाद वजन और घबराहट दोनों कम हुआ. असल में थाइराइड की बीमारी महिलाओं में अधिक होती है. 10 में 8 महिलाओं को ये बीमारी होती है, लेकिन महिलाओं में इसे लेकर जागरूकता कम है. इसलिए इसे पकड़ पाने में मुश्किलें आती है और रोगी को सही इलाज समय पर नहीं मिल पाता.
इस बारें में थाइराइड एक्सपर्ट डा शशांक जोशी कहते है कि यहाँ हम हाइपोथायराइडिज्म के बारें में बात कर रहे है,क्योंकि इसमें ग्लैंड काम करना बंद कर देती है.जिसका सीधा सम्बन्ध स्ट्रेस से होता है. इतना ही नहीं इस बीमारी का सम्बन्ध हमारे औटो इम्युनिटी अर्थात सेल्फ डिस्ट्रक्सन औफ थाइराइड ग्लैंड से जुड़ा हुआ होता है, जो तनाव की वजह से बढती है. आज की महिला अधिकतर स्ट्रेस से गुजरती है, क्योंकि उन्हें घर के अलावा वर्कप्लेस के साथ भी सामंजस्य बैठाना पड़ता है जो उनके लिए आसान नहीं होता. ये सभी तनाव थाइराइड को बढ़ाने का काम करती है, क्योंकि इसके बढ़ने से एंटी बौडी तैयार होना बंद हो जाती है. इसके लक्षण कई बार पता करने मुश्किल होते है, लेकिन कुछ लक्षण निम्न है जिससे थाइराइड का पता लगाया जा सकता है,
- मोटापे का बढ़ना,
- थकान महसूस करना,
- काम में मन न लगना,
- केशों का झरना,
- त्वचा का सूखना,
- मूड स्विंग होना,
- किसी बात पर चिड़चिड़ा हो जाना,
- अधिक मासिक धर्म का होना,
- किसी बात को भूल जाना आदि सभी इसके लक्षण है.