म्युकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बारें बहुत कम लोगों ने पता है, यही वजह है कि अधिकतर लोग इसके शिकार हुए है. दरअसल ये फंगस, मिट्टी, फफूंदी आदि के नजदीक रहने वाले को होती है और ऐसे रोगी बहुत कम होते है, लेकिन कोविड 19 की वजह से इसकी संख्या में अचानक बढ़ जाना,एक मर्डर मिस्ट्री से कम नहीं. डॉक्टर से लेकर पीड़ित परिजन के लिए इस बीमारी को समझना मुश्किल हो चुका है, ब्लैक, व्हाइट , ग्रीन आदि न जाने कितने रंगों में ये फंगस कोविड रोगी को कोविड के साथ और कोविड से ठीक होने के बाद भी हो रहा है.
इस अंजान बीमारी को लेकर लोगों में भय और दहशत का माहौल है, क्योंकि ये बीमारी जल्दी फैलती है. इसलिए इसका इलाज जल्दी करवाना पड़ता है, ऐसे में इस खर्चीले इलाज के पैसे की जुगाड़ करते-करतेकई परिवारों के मरीजों कीबीमारी बढ़ गयी औरकिसी की एक आँख निकालनी पड़ी, तो किसी का जबड़ा निकलना पड़ा, जबकि कुछ ने अपने प्रियजनों को खोया भी है. कोविड 19 की डेल्टा वेरिएंट में म्युकरमायकोसिस की बीमारी भारत में अधिक होने की वजह क्या है? इस बारेंमें मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के कान, नाक, गला (ENT) विभाग के प्रमुख डॉ. संजीव बधवार कहते है कि इस बीमारी को ब्लैक फंगस नहीं, ये म्युकरमायकोसिस है, ब्लैक फंगस इतना घातक नहीं होता. इस फंगस के होने की वजह निम्न है,
- कोविड की वजह से कोशिकाओं में खून की सप्लाई में असर करती है. ये टिश्यु कोविड की वजह से डेड हो जाते है. इससे फंगस के लिए उचित वातावरण होता है और वह अंदर जाकर पनपता और मरीज को एटैक करता है.
- कोविड से कुछ बीटा सेल्स आक्रांत होने पर, शरीर में शुगर का कंट्रोल नहीं हो पाता और कोविड युक्त बीटा सेल्स सीधे पेनक्रियाज पर एटैक करती है, ऐसे में बिना डायबिटीज वाले को भी डायबिटीज हो सकता है और अगर मरीज पहले से मधुमेह का शिकार है तो उसकी मात्रा अधिक बढ़ सकती है.
- कोविड में भारी मात्रा में स्टेरॉयडदिया जाता है.स्टेरॉयडएक ऐसी दवा है, जो जान बचाती औरशरीर को हानि भी पहुंचाती है. स्टेरॉयडसही मात्रा में, सही समय पर और जरूरतमंद रोगी को हीदेना चाहिए.