विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा अनुमानों के मुताबिक, दुनियाभर में 30 करोड़ से अधिक लोग अवसाद यानी डिप्रैशन से ग्रस्त हैं. अवसाद से ग्रस्त लोगों की संख्या 2005 से 2015 के दौरान 18 फीसदी से भी अधिक बढ़ी है. अवसाद आत्महत्या के लिए मजबूर कर देने का एक महत्त्वपूर्ण कारक है जिस से हर साल हजारों की संख्या में लोगों की मौत होती है. दुनियाभर में होने वाली आत्महत्याओं में से 21% भारत में होती है.
‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ और ‘मैंटल हैल्थ कमीशन औफ कनाडा’ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर घंटे 92 लोग खुदकुशी करते हैं. 2016 में हुई खुदकुशी के आंकड़ों के मुताबिक 15 से 29 साल के युवाओं ने सब से ज्यादा खुदकुशी की. खुदकुशी करने वालों में सब से ज्यादा लोग जहर खा कर जान देने वाले हैं.
अलग ही तरीका
दक्षिण अफ्रीकी देश जिंबाब्वे के मनोवैज्ञानिक डिक्सन चिंबादा ने डिप्रैशन के शिकार लोगों की मदद कर एक अलग ही तरीका निकाला है. उन्होंने बुजुर्गों की मदद से डिप्रैशन के शिकार लोगों की मदद का कार्यक्रम शुरू किया है. 2006 से आज तक डिक्सन और उन की टीम ने 400 बुजुर्ग महिलाओं को ट्रेनिंग दी ताकि वे डिप्रैशन के शिकार लोगों की मदद कर सकें.
डिक्सन का ग्रैंडमदर्स क्लब डिप्रैशन की चुनौती से निबटने में बहुत कारगर साबित हुआ है. उन्होंने बुजुर्ग महिलाओं को ट्रेनिंग दे कर लोगों की मदद के लिए तैयार किया है. फ्रैंडशिप बेंच की शक्ल में सार्वजनिक पार्क या अस्पताल के ग्राउंड में ऐसे बेंच लगाए गए जहां ट्रैंड बुजुर्ग महिलाएं लोगों के जीवन को सही राह दिखा सकेंगी.