कोरोना वायरस का कहर हम पर न टूटे, इसके लिए हम तरह-तरह की एहतियात बरत रहे हैं. इसी में एक है सैनिटाइजर. आप घर बाहर हर जगह सेनिटाइज़र का इस्तेमाल लगभग हर घंटे कर रहे हैं. महिलायें अपने हैंड बैग में आजकल लिपस्टिक की बजाय सेनिटाइज़र कैरी कर रही हैं. ऑफिसेस में हर टेबल पर सेनिटाइज़र की बोतल रखी है. किसी भी कार्यालय, बैंक, मॉल, दूकान, रेस्टोरेंट में घुसने से पहले ही दरबान आपके सामने सेनिटाइज़र की बोतल ले कर खड़ा हो जाता है. यानी सेनिटाइज़र आज की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुका है. डॉक्टर कहते हैं कि अगर अच्छी से अच्छी गुणवत्ता वाले सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना वायरस का असर और डर बहुत कम हो जाता है. लेकिन जब से कोरोना वायरस ने दस्तक दी है, तब से बाजार में सैनिटाइजर की बाढ़ आ गई है. सैकड़ों कंपनियां सैनिटाइजर बेच रही है. इस स्थिति में हमें पता ही नहीं होता कि कौन सा सैनिटाइजर असली है और कौन सा नकली.

कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के कारण सैनिटाइजर की मांग बढ़ने पर सरकार ने इसे ड्रग लाइसेंस के दायरे से भी बाहर कर दिया है. यानी कोई भी कंपनी सेनिटाइज़र बना कर बेच सकती है. ऐसे में महामारी जैसे संकट में भी चंद रुपयों के फायदे के लिए जालसाजों ने लोगों की सेहत और जान से खिलवाड़ कर नकली सैनिटाइजर बाजार में उतार दिये हैं. नकली या कम असरदायक हैंड सैनिटाइजर आज गली-गली में बिक रहा है. मेडिकल शॉप्स से लेकर फुटपाथ के किनारे और किराना दुकानों तक पर ऐसे हैंड सैनिटाइजर मिल रहे हैं, जो आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. ऐसे सैनिटाइजर को बेचने पर दुकानदारों को 50 फीसदी तक कमीशन मिल जाता है, जबकि ब्रांडेड कंपनियों के सैनिटाइजर में 10 से 20 फीसदी तक ही मिलता है.

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