125 करोड़ की आबादी वाले भारत में सिर्फ 2 से 3 फीसद लोग ही इनकम टैक्स (कर) भरते हैं. ऐसे में जो 2 से 3 फीसद लोग देश में करदाता है उनके लिए सिर्फ टैक्स का भुगतान करना ही काफी नहीं होता, उन्हें आयकर (इनकम टैक्स) से जुड़ी बारीक जानकारियां भी रखनी चाहिए. आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष के लिए आईटीआर रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन 31 जुलाई 2018 है. हम अपनी इस खबर में 10 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जो हर करदाता को मालूम होनी चाहिए.
फाइनेंशियल इयर और असेसमेंट इयर में अंतर समझें?
फाइनेंशियल इयर (वित्त वर्ष) वह होता है जिसमें आप कमाई करते हैं. यह एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है. असेसमेंट इयर फाइनेंशियल इयर के ठीक बाद का साल होता है. यानी अगर वित्त वर्ष 2017-18 एक अप्रैल 2017 से शुरू होकर 31 मार्च 2018 तक चलता है तो इसका असेसमेंट इयर 2018-19 होगा जो कि 1 अप्रैल 2018 से शुरू होकर 31 मार्च 2019 तक चलेगा.
इनकम टैक्स स्लैब क्या होती है?
करदाताओं (टैक्सपेयर्स) को उनकी सालाना कमाई के आधार पर अलग अलग वर्गों में बाटा गया है जिसे टैक्स स्लैब कहते हैं. बतौर करदाता आपको मालूम होना चाहिए कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं और आपको अपनी कमाई पर कितना फीसद हिस्सा बतौर टैक्स देना है.
सामान्य वर्ग के लिए
- 2,50,000 तक की कमाई कोई कर नहीं (निल कैटेगरी)
- 2,50,000 से 5,00,000 रुपए तक की कमाई 5 फीसद कर
- 5,00,000 से 10,00,000 रुपए तक की कमाई 20 फीसद कर
- 10,00,000 रुपए से ऊपर की कमाई पर 30 फीसद कर
सीनियर सिटीजन के लिए (60 से 80 वर्ष)