दिवाली सिर्फ रोशनी का त्यौहार नहीं है, बल्कि मस्ती, आनंद और खुशी का समय भी है. भारतीय संदर्भ में कहें, तो इसका मतलब है कि परिवार और दोस्तों के साथ एक शानदार जश्न, एक दूसरे के साथ दावत और रिश्तों की मजबूती का पर्व! लेकिन पर्व के गुजरने के बाद कहीं आपका सामना आंखों में जलन, चिड़चिड़ाहट और प्रदूषित आबोहवा से तो नहीं होता? इसीलिए हम इस दिवाली को एक ईको-फ्रेंडली पर्व बनाने के लिए कुछ सुझाव साझा कर रहे हैं -
- अपने घरों में रोशनी के लिए एलईडी लाइटिंग का चयन करें, खासकर अगर आपके छोटे बच्चे हैं, क्योंकि औयल लैंप खतरनाक हो सकता है. एलईडी सुरक्षित हैं और बिजली की खपत भी कम करते हैं.
- अपने परिवार की सहायता से लालटेन बनाने का प्रयास करें - इससे न केवल रिश्तों में मजबूती आएगी, बल्कि परिवार की रचनात्मकता को दर्शाने में आप भी गर्व का अनुभव करेंगे.
- हाथों से बने उपहार या स्थानीय बाजार से गिफ्ट खरीदें, औनलाइन खरीदे गए सामान की तुलना में ये बेहतर हैं.
- अपने दोस्तों, परिवार, कर्मचारियों, ग्राहकों, क्लाइंट्स, सहयोगियों आदि को उपहार के तौर पर पौधे दें. ये पर्यावरण के लिहाज से भी अच्छे हैं और हमारी जेब के अनुकूल भी हैं.
- मिठाइयां और पकवान घर पर ही बनाएं - ये आपकी जेब के लिए भी बेहतर है. और अगर खरीदना जरूरी ही हो, तो स्थानीय बाजार से ही खरीदें.
- अपने घर को सजाने के लिए चित्रकारी और रंगोली में स्थानीय रूप से उपलब्ध फूलों और पौधों का उपयोग करें.
- कपड़े और जूट बैग के उपयोग को बढ़ावा दें, इन्हें उपहार में भी दे सकते हैं.
- प्लास्टिक को कहें ना - पैकेजिंग उपहार और भोजन के लिए हस्तनिर्मित कागज का प्रयोग करें.
- शोर करने वाले और जबरदस्त धुंआ छोडने वाले पटाखों के उपयोग से बचें. क्रैकर्स को ना कहें और पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाएं.इसके बजाय, परिवार और दोस्तों को इकट्ठा करें और बोर्ड गेम खेलें.
- बायोडिग्रेडेबल क्राकरी और कटलरी का प्रयोग करें - गृहिणी और घरेलू नौकरानी के लिए भी काम कम होगा.
- जश्न के बाद कचरे को अलग करने का काम बेहद सावधानीपूर्वक करें और यह हर किसी की जिम्मेदारी है, यह भी सुनिश्चित करें कि आप बायो-डिग्रेडेबल और नौन- बायो-डिग्रेडेबल कचरे को अलग-अलग करें.
- आखिरी लेकिन महत्वपूर्ण - यह सुनिश्चित करें कि उत्सव के बाद आपका घर और आपका पर्यावरण कूड़े-कचरे से मुक्त हो, क्योंकि चारों ओर कचरे का नजर आना बेहद तकलीफदेह होता है.
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