त्योहारों के समय घरों में रंग-रोगन का काम तो अधिकांश लोग कराते हैं और उसकी सुंदरता बढ़ाते हैं, यदि ये रंग आपकी मानसिक सेहत को सूट करते हुए हों तो कितना अच्छा हो. याद है आपको अपने बचपन का घर, वहां की नीली और सफेद दीवारें कैसे आज भी आपके दिलोदिमाग में बसी हैं. यादों के ऐसे ही रंगों से यदि घर की दीवारों को सजाया जाए तो उससे मानसिक सेहत बेहतर होती है. यदि यादों में बसा ऐसा कोई रंग नहीं हो तो फिर ऐसे रंगों का चुनाव करें, जो आपके मन को सुकून देने वाले हों.
जब लिविंग रूम की दीवारें करें स्वागत
रंगों के वॉर्म प्रकार के टोन जैसे लाल, पीला और नारंगी, मिट्टी के रंग के टोन जैसे भूरा लिविंग रूम के लिए बेहतर माने जाते हैं. क्योंकि ये रंग संवाद को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं. ये लोगों को उस स्थान पर बैठकर बातें करने को प्रेरित करते हैं. ये रंग घर पर आने वाले लोगों को गर्मजोशी का अहसास कराते हैं और लोगों को जोड़ने का काम करते हैं.
बचपन का किचन
रंग विशेषज्ञों का कहना है कि किचन से हमारे बचपन की बहुत ही मीठी यादें जुड़ी होती हैं. यदि उन्हीं रंगों को दोबारा बड़े होने पर प्रयोग किया जाए तो उसका अर्थ और अधिक सार्थक होगा. मान लीजिए आप जब छोटी हों और आपके किचन की दीवारों का रंग नीला और सफेद हो तो ये दोनों ही रंग आपके परिवार के लिए बहुत अच्छे होंगे.
यदि रंगों को लेकर ऐसी कोई याद न हो तो फिर किचन के लिए लाल और पीले रंग सबसे सटीक होंगे. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपका वजन अधिक है तो लाल रंग और अधिक खाने को प्रेरित करता है. यदि आप डाइटिंग कर रही हैं तो फिर लाल रंग आपके किचन के लिए ठीक नहीं.