ऐजुकेशन लोन को देश में या विदेश में पढ़ाई की लागत को कवर करने का सब से अच्छा तरीका माना जाता है. अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कई बैंक देश में या विदेश में पढ़ाई के लिए सस्ती दर पर भी लोन मुहैया करा देते हैं.
अपने बच्चे की हायर ऐजुकेशन के लिए पेरैंट्स म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. कुछ लोग फिक्स्ड डिपौजिट तो कुछ यूलिप का सहारा भी लेते हैं. इन सब के बाद भी यदि पढ़ाई के लिए रकम कम पड़ती है तो ऐसे में ऐजुकेशन लोन से काफी मदद मिल जाती है. यह लोन जरूरत और उपलब्ध रकम के बीच की खाई को भरता है.
एक अध्ययन के अनुसार हिंदुस्तान में पढ़ाई का खर्च सालाना 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. इस समय अगर पढ़ाई का खर्च 2.5 लाख रुपये है तो 15 साल बाद एमबीए करने में 20 लाख रुपये खर्च होंगे. अगर पेरैंट्स अभी से 15 सालों तक हर महीने 2000 रुपये का निवेश करते हैं और इस पर औसत रिटर्न 12 फीसदी मान लें तो वे करीब 9.5 लाख रुपये ही जोड़ पाएंगे.
ऐजुकेशन लोन में क्या कवर होता है
इस में कोर्स की बेसिक फीस और कालेज के दूसरे खर्च जैसे रहने, ऐग्जाम और अन्य खर्चे कवर होते हैं. पढ़ाई करने वाला छात्र मेन उधारकर्ता होता है. उस के पेरैंट्स या भाईबहन कोबौरोअर हो सकते हैं. भारत में पढ़ाई या उच्च शिक्षा के लिए अथवा विदेश जाने वाले छात्र लोन ले सकते हैं. दोनों जगह पढ़ाई के लिए लोन की रकम अलग हो सकती है और यह बैंक पर भी निर्भर करता है.