शादी अपने साथ कई चुनौतियां ले कर आती है. यदि खुशी है तो गम भी आप की जिंदगी का हिस्सा होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप उस में संतुलन बना कर चलें. पति और पत्नी एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों में से एक को कभी भी किसी मोड़ पर दूसरे की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में ध्यान रखना आवश्यक है कि आप उसे परेशानी नहीं समझें बल्कि अपना कर्तव्य समझ कर समझदारी से काम लें.
ऐसा ही कुछ अभिनव और आरती के साथ हुआ. अभिनव की नौकरी किसी कारणवश छूट गई जिस के चलते वह घर में रहने लगा. वह चिड़चिड़ा होने के साथ गुस्सैल स्वभाव का बरताव करने लगा. उस का ऐसा बरताव आरती से सहन नहीं हो पाया और वह अपने मायके में जा कर बैठ गई.
आरती को थोड़े संयम की आवश्यकता थी. आरती को समझने की जरूरत थी कि समय कभी एकजैसा नहीं रहता. यदि आज परेशानी है तो कल उस से छुटकारा भी मिल ही जाएगा. आइए जानें किस तरह पत्नियां स्वयं को घर में कैद न समझ, प्रेमपूर्वक अपने जीवनसाथी का साथ निभाएं :
पति, पत्नी का मजबूत रिश्ता
प्यार व विश्वास पर टिका है पतिपत्नी का रिश्ता. किसी भी इमारत को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस की नींव मजबूत हो, अगर नींव मजबूत नहीं होगी तो इमारत गिरने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ठीक इसी तरह पतिपत्नी के रिश्ते की इमारत के 2 आधार स्तंभ होते हैं प्यार और विश्वास. यही स्तंभ अगर कमजोर हों तो रिश्ता ज्यादा समय नहीं चल सकता. जिन पतिपत्नी के बीच ये दोनों बातें मजबूत होती हैं, उन का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.