पापा, बाबा, डैड, अब्बू या पिता जी...

नाम भले ही अलग हो, लेकिन हर शब्द में प्यार समाया है. अपने सुख-दुख भूलकर जो हरदम हमारी खुशियों के लिए जीता है. वो अपना प्यार तो नहीं दिखाते, लेकिन उनका साया हमे हर मुश्किल से बचाता है. लेकिन जरूरी नहीं है कि जन्म देना वाला इंसान ही पिता कहलाए... जिंदगी में कई बार ऐसा होता है जब किसी मुश्किल में कोई आपकी मदद करता है और आपको अपने पिता की याद आ जाती है...

वो कोई भी हो सकता है दादा जी, ताया, चाचा जी, बड़ा या छोटा भाई, कोई टीचर या कोई सीनियर, कोई दोस्त या आपका हमसफर... वो हर शख्स जिसने बुरे दौर में आपका साथ दिया... आपको मुसीबत से बाहर निकाला... मुश्किल घड़ी में आपको रास्ता दिखाया...

तो इस ‘फादर्स डे’ पर दुनिया को बताइए अपने पापा से जुड़ी वो कहानी जिसने आपकी जिंदगी पर गहरी छाप छोड़ी हो. वो बातें जो आप कभी अपने पिता से नहीं कह पाए.

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