चित्रा विवाह के 3 महीने बाद पहली ही बार मायके आई और आते ही उस ने अपने पिता के गले लग कर रोते हुए कहा कि अब वह वापस अपने ससुराल कभी नहीं जाएगी. उस के मातापिता यह सुन कर घबरा गए कि जिस बेटी का विवाह उन्होंने इतने धूमधाम से किया था, अचानक ससुराल में उस के साथ ऐसा क्या हुआ कि उस को यह निर्णय लेना पड़ रहा है. दामाद समीर तो विवाह के पहले भी कई बार घर आ चुका था. उस में तो कभी कोई कमी नहीं लगी.
मातापिता का इकलौता बेटा, सुदर्शन व्यक्तित्व के साथ पढ़ालिखा और अच्छी कंपनी में कार्यरत है. कोई बुरी आदत भी नहीं है. सब कुछ देखसुन कर ही विवाह तय किया था. उस के मातापिता भी सुलझे हुए और आधुनिक विचारों के लगे. दहेज की भी कोई मांग नहीं थी. उन्होंने सोचा जरूर कोई गंभीर समस्या है, जो चित्रा को विवाह के बाद ही पता चलने के कारण उस ने ऐसा निर्णय लिया है. लेकिन उन्होंने जब उस से कारण पूछा तो उन को समझ नहीं आया कि वे क्या प्रतिक्रिया दें.
चित्रा ने बताया कि समीर, जोकि विवाह के पहले उसे इतना प्यार करता था, विवाह के बाद हर समय उसे टोकता रहता है कि मैं ऐसा कुछ न करूं, जिस से कि उस के मातापिता को बुरा लगे. सुबह 6 बजे ही उठ कर किचन में नाश्ता तैयार करने के लिए कहता है.
चित्रा जौब भी कर रही थी. लौट कर थकीहारी होने पर भी सासूमां के साथ किचन में हाथ बंटाना पड़ता है, सासूमां तो कुछ नहीं कहतीं, लेकिन समीर नहीं चाहता कि उस की मां अकेले ही सब काम करे. समीर चित्रा का हाथ बंटाना चाहता है, लेकिन विवाह के पहले उस ने कभी किचन में काम किया नहीं. इसलिए उस के मातापिता क्या सोचेंगे, यह सोच कर संकोच करता है. सारी गड़बड़ समीर के मातापिता के कारण है, इसलिए अब वह उस के साथ अकेला रहेगा तभी वहां जाएगी.