अक़्सर देखा जाता है कि बच्चे अपने दिल की बात जितना खुलकर अपने दोस्तों के साथ कर लेते हैं, उतना खुलकर वह अपने माता पिता से नहीं कह पाते. कई बार तो बच्चे अपने माता-पिता के सामने इतना संकोच करते हैं कि वह अपनी बात तक नहीं रख पाते. आजकल इसीलिए ये जरूरी हो गया है कि पेरेंट्स अपने बच्चों के दोस्त बनकर रहें. जब दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता होता है तो संवाद भी काफी आसान हो जाता है. इस से माहौल सहज होने से दोनों एक दूसरे की बात को समझने का प्रयास करते हैं. लेकिन बड़ा प्रश्न ये है कि बच्चों से दोस्ती की किस तरह जाए. यदि आप भी चाहते हैं बच्चों के दोस्त बनना तो जरूरत है बस कुछ कदम बढ़ाने की उसके बाद बच्चों से दोस्ती का रिश्ता कायम करना मुश्किल नहीं है तो चलिए जानते हैं कुछ आसान तरीके जिनसे  ये करना आसान हो जाएगा.

अधिक नियंत्रण से बचें

कई माता पिता अपने बच्चों को कड़े अनुशासन के नाम पर कठोर नियंत्रण में रखते हैं जिस से वो गलत राह पर न जाएँ पर इसके परिणाम ठीक उलट हो जाते हैं. बच्चे बहुत जिद्दी और गुस्से वाले बन जाते हैं.इसलिए धैर्य रखें और उन्हें अपना जीवन अपने अनुरूप जीने दें. कोई गलती हो जाने पर उन्हें डांटने की बजाय प्यार से समझाएँ. उन्हें उस गलती से होने वाले नुकसान बता कर अगली बार उस गलती को न करने सलाह दें.उन्हें यकीन दिलाएं कि आपको उन पर पूरा विश्वास है कि अब वो ये ग़लती नहीं दोहरायेंगे .

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