रेशम के कीड़ों द्वारा उत्पादित सिल्क एक प्राकृतिक फाइबर है. अपने कई अद्भुत गुणों के कारण इसे 'क्वीन ऑफ़ टेक्सटाइल्स' भी कहा जाता है.

सिल्क की बात करें तो यह एक हाइपोएलर्जेनिक है - मतलब कि यह एक प्राकृतिक प्रोटीन फाइबर है और इसलिए सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को इससे कोई तकलीफ नहीं होती है जिससे इसे रोज़ पहना जा सकता है.

सिल्क के इस्तेमाल से इंसानों में झुर्रियों की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसीलिए यह मान्य है कि सिल्क के तकिए पर सोने से सिल्क प्रोटीन में मौजूद आवश्यक अमीनो एसिड के कारण व्यक्ति को झुर्रियां देरी से आती है.

सिल्क अत्यधिक नमी को अवशोषित कर सकता है और अपने वजन का एक तिहाई नमी अवशोषित कर सकता है वह भी बिना नमी का एहसास दिए.

इसके अलावा सिल्क के रेशे स्वभावतः लाइट को अपवर्तित या रिफ्रैक्ट करते हैं. यही कारण है कि सिल्क आमतौर पर जगमगाहट, आभा और चमक के लिए जाना जाता है.

सिल्क में कीड़ों के लिए प्रवेश करना मुश्किल होता है और इसलिए यह मच्छरों से रक्षा कर सकता है. इसलिए सिल्क कीट सुरक्षात्मक कपड़ों और मच्छरदानी के लिए एक आदर्श है.

सिल्क सबसे मजबूत प्राकृतिक फाइबरों में से एक है, जिसका इस्तेमाल कपड़ों से लेकर पैराशूट तक, कम्बलों से लेकर मछली पकड़ने के जाल तक, डॉक्टर के द्वारा लगाए जाने वाले टांके से लेकर प्रोस्थेटिक्स तक के लिए किया जाता है.

सिल्क में थर्मोस्टेटिक गुण होते हैं, जिसके कारण यह तापमान परिवर्तन के अनुसार प्रतिक्रिया करता है. इससे किसी भी व्यक्ति को सर्दियों में गर्म और आरामदायक और गर्मियों में ठंडा और कंफरटेबल महसूस होता है.

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