याद कीजिए फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ में रितिक, फहरान और अभय देओल के बैचलर ट्रिप को. इस ट्रिप ने रितिक उर्फ अर्जुन की जिंदगी बदल दी थी. हमेशा काम में फंसे रहने वाले अर्जुन को इस सफर ने जीने का नया नजरिया दिया. कुछ लोग काम के सिलसिले में घूमने निकलते हैं, कुछ रिलैक्स होने के लिए, तो कुछ रोमांच महसूस करने के लिए. मकसद जो भी हो, पर्यटन हमें रोजरोज की आपाधापी और तनाव भरी दिनचर्या से आजादी दे कर मन और शरीर को पुनर्जवां और तरोताजा बनाता है और अपनों के करीब आने का मौका देता है.
पर्यटन एक प्राकृतिक इलाज
आधुनिक समय में इंसान काम के बोझ से इस कदर दबा हुआ है कि उसे सांस लेने की भी फुरसत नहीं. ऐसे में पर्यटन आप को जिंदगी के तनावों और चिंताओं से दूर ला कर एक खुशनुमा माहौल देता है. आप की आंखें प्राकृतिक नजारों का आनंद लेती हैं, त्वचा को धूप का स्पर्श मिलता है. खुली हवा में सांस लेने से आप के लंग्स को ताजा हवा मिलती है. यह आप के दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है. मैडिकल ऐक्सपर्ट्स दिल को स्वस्थ रखने के लिए 6 माह में एक बार लंबे ट्रिप पर जाने की सलाह देते हैं. रिसर्च बताते हैं कि पर्यटन ब्लडप्रैशर एवं कोलैस्ट्रौल घटाता है. दिल के लिए खतरनाक स्ट्रैस हारमोन, एपिनेफ्रीन के लैवल को कम करता है.
यात्रा के दौरान आप का अच्छाखासा शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है. आप भले ही समुद्र किनारे घूम रहे हों, स्विमिंग कर रहे हों, किसी ऐतिहासिक शहर के स्मारकों को देख रहे हों या राइडिंग कर रहे हों, आप का शरीर ऐक्टिव रहता है. कहीं आप को सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं, तो कहीं बैग ढोने पड़ते हैं. ये सारी गतिविधियां कैलोरी बर्न करने के लिए मुफीद हैं. इस से स्टैमिना तो बढ़ता ही है, नींद भी अच्छी आती है और आप तरोताजा हो कर वापस लौटते हैं. एक स्टडी के मुताबिक जो महिलाएं 2 साल में एक बार से भी कम घूमने निकलती हैं, डिप्रैशन की ज्यादा शिकार होती हैं. जबकि साल में 2 बार पर्यटन करने वाली महिलाएं मानसिक रूप से स्वस्थ रहती हैं.