सर्वश्रेष्ठ संस्मरण : मैं पेशे से टीचर हूं. एक दिन विद्यालय में एक नई टीचर रचना ने जौइन किया. वे मुझ से 10 साल बड़ी थीं. मेरी उन से प्रगाढ़ मित्रता हो गई.
वे हमेशा मुसकराती रहतीं और अपना काम बड़ी कुशलता से करतीं. सभी उन की प्रशंसा करते.एक दिन मुझे जैसे ही यह समाचार मिला कि रचना दीदी दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं और अस्पताल में भरती हैं, तो मैं उन्हें देखने तुरंत अस्पताल पहुंच गई. वहां रचना दीदी से पता चला कि उन का अपना कहने को कोई नहीं है.सच कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो लाख परेशानियां होने पर भी हमेशा मुसकराते रहते हैं. फिर रचना दीदी जब तक अस्पताल में रहीं मैं रोज उन से मिलने जाती रही. उन की जीने की कला मेरे मन को छू गई.
- कविता
बात तब की है जब हमारे पड़ोस में एक अंकल की बीमारी से मृत्यु हो गई. दाहसंस्कार के बाद हम सब महिलाओं ने उन के परिवार वालों से चायनाश्ता और भोजन आदि के बारे में पूछा.पहले तो उन्होंने मना किया पर हमारे बारबार आग्रह करने पर उन के यहां की एक बुजुर्ग महिला ने कहा, ‘‘हमारे यहां घर के सभी लोग बिना हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां खाते हैं, इसलिए आप यही भेजिएगा.’’बाहर आ कर अभी महिलाएं आपस में कहने लगीं कि हमारे यहां तो बिना प्याज, हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां बनाना बुरा माना जाता है. अत: यह भोजन तो हम नहीं भेज सकते.
तभी एक महिला बोलीं, ‘‘मुझे बिना हलदी की दाल और बिना घी की रोटियां बनाने में कोई परहेज नहीं, क्योंकि मेरी नजर में सब से बड़ी चीज मानवता है. इन बेचारों का एक सदस्य इस दुनिया से चला गया और हम हैं कि हलदीमिर्च के चक्कर में उलझी हैं. मैं तो भोजन भेजूंगी.’’ थोड़ी देर में वे महिला खाना बना कर दे भी आईं. उन का यह व्यवहार मेरे मन को छू गया.