लताब भारत रत्न लता मंगेशकर हमारे बीच नहीं हैं. मगर उन के संघर्ष की कहानियों के साथ उन का कृतित्व, उन के द्वारा स्वरबद्ध गीत सदैव लोगों के दिलोदिमाग में रहेगा. पिता दीनानाथ मंगेशकर के असामायिक देहांत के चलते महज 13 वर्ष की उम्र में भाई हृदयनाथ, 3 बहनों मीना, आशा व उषा तथा मां सहित पूरे परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर आ जाने के बाद लता मंगेशकर अपनी मेहनत, लगन, जिद व सख्त इरादों के बल पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक अलग छाप छोड़ गईं.
पिता की याद में पुणे में अस्पताल
लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन पुणे के ससून जनरल अस्पताल में हुआ था. पिता का निधन एक जख्म की तरह लता मंगेशकर के दिल में रहा. इसीलिए जब वे सक्षम हुईं, तो उन्होंने पुणे में सर्वसुविधासंपन्न अस्पताल बनवाया, जहां आज भी गरीबों का इलाज महज 10 रुपए में किया जाता है. इस अस्पताल में कई गायक, संगीतकार, म्यूजीशियन व कलाकार इलाज करा चुके हैं.
इस अस्पताल के निदेशक डा. केलकर कहते हैं, ‘‘लताजी ने बिना कौरपोरेट कल्चर वाले अस्पताल का सपना देखते हुए इस का निर्माण किया था, जहां हर इंसान अपने इलाज के लिए सहजता से पहुंच सके और कम दाम में अपना इलाज करा सके. इस के अलावा एक अस्पताल नागपुर में बनवाया. प्राकृतिक आपदा के वक्त भी मदद के लिए आगे आती थीं.’’
मगर लता मंगेशकर की आवाज ही उन की पहचान बनी. उन की आवाज के दीवाने पूरे विश्व में हैं. 36 भाषाओं में एक हजार से अधिक फिल्मों में उन्होंने 50 हजार से अधिक गाने गाए.