धर्म पर आधारित राजनीति ने जो नुकसान औरतों को पिछले 5-7 दशकों में पहुंचाया है उस का आंकलन करना आसान नहीं है. अगर शाहीन बाग में मुसलिम औरतें आ कर बैठना शुरू हुई हैं तो वह धर्म की वजह से ही है, जिन्हें पहले बुरकों और घरों के अंधेरे में बंद रखा जाता था. देशभर में फैल रहे शाहीन बाग असल में उन मुसलिम कट्टरपंथियों की हार का नतीजा भी हैं जो सोच रहे थे कि धर्म के नाम पर वे अपनी औरतों को गुलाम बनाए रखेंगे.
मुसलिम औरतों को सम झ आ गया है कि उन के धर्म के ठेकेदार उन्हें दबाए रखने की नीयत से कुछ करने नहीं देंगे और बहुमत की राजनीति के कारण उन्हें बेबात में सरकार के जुल्मों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने अपने हाथों में तख्तियां लीं और शाहीन बाग की सड़कों पर जम गईर्ं. यह मुसलिम कट्टरपंथियों की हार है जो जुल्म सहने को तैयार हैं पर धर्म पर सम झौते करने को तैयार नहीं हैं.
लेकिन जो हिम्मत मुसलिम औरतों ने दिखाई उसी पैमाने का दब्बूपन हिंदू औरतों में बढ़ा है. मुसलिम धर्म के दुकानदार कमजोर हुए हैं तो हिंदू धर्म के दुकानदार आज और मजबूत और कामयाब हो गए हैं. सारे देश में सरकार की शह पर हिंदू औरतों को बरगलाने की साजिश चल रही है.
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औरतों को बहकाया जा रहा है कि उन की सुरक्षा तो धर्म को मानने में है. उन्हें तीर्थों में धकेला जा रहा है. उन्हें पूजाउपवासों में जम कर लगवाया जा रहा है. उन में धार्मिक जनून भी भरा जा रहा है. यह सोचीसम झी साजिश है और राजनीति में यदि भगवा मंडली है, तो इसीलिए है कि औरतों को जम कर लूटा जा सके.