जब एक औरत किसी विवाहित पुरुष के प्यार में पड़ती है और सुर्खियों में आती है, तो सामान्यतया हर कोई उस स्त्री को गलत नजरों से देखने लगता है कि आखिर उस ने एक विवाहित पुरुष की तरफ देखा ही क्यों? किसी औरत का बसाबसाया घर उजाड़ने की कोशिश क्यों की? उस औरत को वैंप की उपाधि दी जाती है. एक नजर में वह स्त्री वाकई गलत नजर आती है. पर कहते हैं न कि प्यार में कुछ भी गलत नहीं होता. कभी परिस्थितियां तो कभी प्रेम, 2 इंसानों को करीब लाता है. कई दफा पुरुष अपनी जिंदगी की किसी कमी को दूर करने के लिए दूसरी स्त्री के करीब आता है, तो कई स्त्रियां ऐसी भी होती हैं, जो अपना मतलब साधने के लिए किसी की जिंदगी का हिस्सा बन जाती हैं. वजह कुछ भी हो, पर ऐसी औरत जमाने की नजरों में खलनायिका बन जाती है. उसे दोषी ठहराया जाता है. पर वास्तव में देखा जाए तो दूसरी स्त्री किसी से कुछ छीनने के बजाय स्वयं काफी कुछ खोती है. अपने सुकून और चैन के अलावा अपनी इज्जत, अपनी डिगनिटी और कई दफा तो अपने वजूद से भी हाथ धो बैठती है.
आइए, नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ उदाहरणों पर:
मधुमिता अमरमणि
गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली मधुमिता एक नवोदित कवयित्री थी, जिस की 24 साल की उम्र में लखनऊ स्थित घर में गोली मार कर नृशंस हत्या कर दी गई. घटना मई, 2003 की है. उस दिन पहली तारीख थी. अचानक खबर मिली कि यू.पी. की युवा छंदकारा मधु अपने बैड पर मृत पाई गई. हर जबान पर एक ही सवाल था कि ऐसा किस ने और क्यों किया? पुलिस तफतीश शुरू हुई. पंचनामा हुआ, बयान दर्ज हुए. शव का पोस्टमार्टम किया गया और फिर जांचपड़ताल व सुबूतों के आधार पर जो सच सामने आया, वह अप्रत्याशित और रोंगटे खड़े करने वाला था. मधु गर्भवती थी और उस की हत्या के पीछे यू.पी. के विधायक व पूर्व मंत्री, अमरमणि त्रिपाठी का हाथ माना गया, जिस से वह प्रेम करती थी.