सरकारी पक्की नौकरी की चाह इस देश में इतनी अधिक है कि भाई भाई को ही नहीं मां को भी मार सकता है, क्योंकि उन्होंने पिता के मरने के बाद उस की जगह नौकरी बड़े भाई को दिला दी. पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर में रेलवे क्वार्टरों में रहने वाले शुभाषीश मंडल ने एक रात भाई के घर में घुस कर अपनी मां और भाई को मार डाला, क्योंकि उन दोनों ने मिल कर पिता के मरने के बाद नौकरी उसे नहीं मिलने दी.

13 साल तक मुकदमा लड़ते रहने पर भी शुभाषीश मंडल को कहीं से रहम नहीं मिला. शुभाषीश ने कहानी गढ़ने की पूरी कोशिश की थी कि हत्याएं किसी और ने लूट के इरादे से की थीं पर उस की बहन के बयान पर विश्वास करते हुए अदालतों ने उस बनावटी बहाने को नहीं माना.

हत्याएं तो हर समाज में होती रहती हैं पर सरकारी नौकरी के लिए कोई युवा अपनी मां और भाई को मार डाले यह अचंभे की बात जरूर है. सरकारी नौकरी का आकर्षण ही कुछ ऐसा है कि लोग इसे जीवन का अकेला उद्देश्य समझ लेते हैं. एक बार नौकरी लगी नहीं कि जीवन भर की पैंशन तय. अच्छा वेतन तो मिलेगा ही ऊपर से अच्छीखासी रिश्वत भी आप की. हर तरह से यह नौकरी जीवन को पक्की सड़क पर रखती है, इसीलिए जब हाथ से यह फिसलती नजर आए तो गुस्सा आ ही जाता है.

सरकारी नौकरी में मिलने वाली सुविधाओं की कीमत कोई तो देता ही है. जो देता है वह आम आदमी है जिस के पास सरकारी नौकरी नहीं है. इस देश में अगर

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