बदन 60 का हो तो क्या, दिल तो 16 का ही है. अब औरतें 60 साल की आयु में दादीनानी नहीं लगतीं. नए चमकदार कपड़ों व काले रंगे बालों वाली वे आंखों पर चश्मा चढ़ाए और महंगा पर्स लिए अपनी आयु झुठला रही हैं.
अब वे कहानियां सुनाने और मठरी खिलाने वाली दादीनानी नहीं, व्हाट्सएप पर फोटो अपलोड करने वाली और पिज्जा का और्डर करने वाली 60 साला हैं. अब तो औरतों ने जम कर प्लास्टिक सर्जरी करानी भी शुरू कर दी है ताकि उन की बीती जवानी लौट आए. झुर्रियां खत्म, आंखों के नीचे के बैग गायब, गले का लटकता मांस खत्म, थुलथुला पेट खत्म.
यह बदलाव केवल शरीर में ही नहीं आ रहा, मन में भी आ रहा है. ये औरतें अब दिल से भी जवान हो रही हैं. उन्हें नएनए शौक मिल रहे हैं और घूमनेफिरने का शौक बढ़ रहा है. अब वे पूजा की टोकरी लिए मंदिरों में नहीं जातीं, पर्स लिए मौल में जाती हैं. यह अच्छा है, क्योंकि इस का मतलब है कि वे घर में जवान बहू से नहीं उलझेंगी. उन्हें घर में दखलंदाजी की फुरसत ही न होगी. बहूबेटी अब दोस्त बन रही हैं ताकि उन के साथ वे तंबोला खेल सकें.
फिर भी आयु तो आयु है ही. उन पर जवानी का बोझ और लादा जाने लगा है. बच्चों ने जवान दिखती मां का पहले वाला ध्यान रखना बंद कर दिया है.
उन का अकेलापन बढ़ने लगा है. पहले शरीर जवाब दे जाता था तो बिस्तर अच्छा लगता था पर अब बदन और दिल जवान है तो जानपहचान वाले नहीं. अगर नौकरीपेशा थीं तो रिटायर हो चुकी हैं. बेटेबेटी वाली हैं तो वे घर छोड़ कर जा चुके हैं. पति हैं तो वे सौंदर्य उपचार के अभाव के कारण ज्यादा उम्रदराज दिखते हैं और थकेथके भी.