अब चाहे कोविड-19 की वैक्सीन आ जाए, देश को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में एक बार फिर सोचना होगा. यह पक्का है कि कोविड का काला साया वैक्सीन के बाद भी छाया रहेगा और जरा सा बुखार डर फैला देगा. लोगों को तुरंत डाक्टरों के पास या फिर अस्पतालों में भागना होगा.
जरूरी है कि शहर हो या कसबा या फिर गांव अस्पताल अब पहली जरूरत बनेंगे. अब अस्पताल समाज की सब से बड़ी गारंटी हैं, पुलिस थाने से भी बढ़ कर जैसे सरकार ने चप्पेचप्पे पर पुलिस थाना, पुलिस चौकी खोल रखी है और जैसे वे रातदिन सड़कों पर मौजूद रहते हैं, वैसे ही स्वास्थ्य सेवाएं हर जगह मौजूद रहनी चाहिए.
अब हर महल्ले, हर कौलोनी, हर गली, हर गांव में अच्छाखासा क्लीनिक बनाना होगा ताकि घर के आदमी ही नहीं औरतें, चाहे अकेली, बच्चों या पति के साथ रहती हों हलका बुखार या सिरदर्द होने पर बेधड़क क्लीनिक जा कर डाक्टर से मिल सकें.
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यह जरूरी है कि स्वास्थ्य सेवाएं अब उसी तरह सस्ती हों जैसे बिजली और पानी है. सरकार को दखल देना होगा और स्वास्थ्य के लिए दवा उद्योगों, अस्पतालों और बाकी सब शिक्षा को भरपूर सहायता देनी होगी. लाखों नए डाक्टर तैयार करने होंगे.
होटलों, धर्मशालाओं में एक हिस्सा अस्पताल जैसा हो. हर बाजार, स्कूल, सिनेमाघर में किसी न किसी तरह चिकित्सा सेवा उपलब्ध हो.
कोविड-19 के कारण दुनियाभर के करोड़ों परिवारों को आर्थिक संकट ?ोलना पड़ रहा है. एक बीमार कइयों की जेब का पैसा खा जाता है. इस कोविड में लाखों ने मोटा पैसा खर्च किया है. डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने जान पर खेल कर लोगों को बचाया है पर यह बारबार नहीं हो सकता और जरूरी है कि समाज परमानैंट इंतजाम करे.