हमारे देश में धार्मिक आस्थाएं बहुत प्रबल हैं. उन पर रत्ती भर भी किसी किस्म की रोकटोक लगभग नामुमकिन है. धर्म के नाम पर कुछ भी कर लेना जायज माना जाता है. जनता की धार्मिक आस्थाओं में व्याप्त मौजमस्ती की भारी संभावनाओं को देखते हुए देश के कोनेकोने में तथाकथित ऐसे साधुसंतों की बाढ़ सी आ गई है, जो अपने को भगवान से भी बड़ा मानते हुए धर्म के ठेकेदार बन कर मौज कर रहे हैं. भोलीभाली जनता ही नहीं, अच्छाखासा उच्च शिक्षित तबका भी इन की तथाकथित ज्ञान, धर्म की बातों में आ कर आए दिन अपना सर्वस्व लुटा रहा है.
हमारा देश ऐसे मामलों व संतों से अटा पड़ा है, जो जनता द्वारा दान में दी गई अकूत दौलत के दम पर इस मृत्युलोक में मयस्सर जिंदगी के हरसंभव ऐशोआराम का मुफ्त में उपभोग कर रहे हैं. राधे मां, स्वामी नित्यानंद, संत रामपालजी महाराज व संत आसाराम आदि तमाम बड़े और मशहूर नाम हैं, जिन्होंने भारतीय जनमानस की धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ करते हुए जिंदगी के हरसंभव ऐशोआराम का मुफ्त में उपभोग किया है. इन के यहां छोटेमोटे आम आदमी ही नहीं, बल्कि बहुत बड़ीबड़ी हस्तियां दूरदूर से आ कर शीश नवाती हैं और बाबा व महाराज कह कर अकूत दौलत की वर्षा करती हैं.
धर्म का बेजा इस्तेमाल
चालू साल की पहली तिमाही के दौरान हरियाणा में संत रामपालजी महाराज के नाम से मशहूर हरियाणा सरकार के बरखास्त कर्मचारी रामपाल दास ने ऊधम मचा दिया. आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती पर 2006 में अति अपमानजनक टिप्पणी कर समाज में तनाव व हिंसा फैलाने और उसी दौरान एक रसूखदार महिला की मौत के चलते कानून के चक्रव्यूह में फंसे रामपाल को तब कुछ वक्त जेल में भी बिताना पड़ा था. इस के बाद उस ने अदालतों के तमाम सम्मन व आदेशों की अवहेलना की और अपने राजनीतिक रसूख एवं सामाजिक ताकत का बेजा इस्तेमाल किया. आखिरकार मजबूर हो कर पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय को उस की गिरफ्तारी के आदेश देने पड़े. चर्चा है कि हरियाणा राज्य के इस स्वयंभू भगवान की गिरफ्तारी पर सरकार को करीब 10 करोड़ का खर्चा झेलना पड़ा. रामपाल के 12 एकड़ी विशाल व भव्य आश्रम की घेराबंदी में 30 हजार से भी ज्यादा जवानों को लगाया गया. काफी मशक्कत के बाद गिरफ्त में आए इस कांइयां संत पर देशद्रोह व राज्यद्रोह, सरकारी काम में बाधा डालने, अवैध हथियारों से हमला करने आदि तमाम संगीन आरोप लगाते हुए संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए हैं. हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इलैक्ट्रिकल इंजीनियर के पद से 2000 में बरखास्त किया गया रामपाल आज आम व खास जनता की नजरेइनायत के चलते 500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की संपत्ति का मालिक है.