आज पूरा विश्व जल संकट के दौर से गुजर रहा है. विश्व के विचारकों का मानना है कि आने वाले समय में वर्तमान समय से भी बड़ा जल संकट दुनिया के सामने होने वाला है. ऐसी स्थिति में किसी की कही यह बात याद आती है कि दुनिया का चौथा विश्वयुद्ध जल के कारण होगा. यदि हम भारत के संदर्भ में बात करें तो भी हालात चिंताजनक हैं. हमारे देश में जल संकट की भयावह स्थिति है, इस के बावजूद हम लोगों में जल के प्रति चेतना जाग्रत नहीं हुई है. अगर समय रहते देश में जल के प्रति चेतना की भावना पैदा नहीं हुई तो आने वाली पीढि़यां जल के अभाव में नष्ट हो जाएंगी. हम इन छोटीछोटी बातों पर गौर करें तो जल संकट की स्थिति से निबट सकते हैं.
विकसित देशों में जल रिसाव 7 से 15% तक होता है, जबकि भारत में 20 से 25% तक. इस का सीधा मतलब यह है कि अगर मौनिटरिंग उचित तरीके से हो और जनता की शिकायतों पर तुरंत कार्यवाही हो साथ ही उपलब्ध संसाधनों का समुचित प्रबंधन व उपयोग किया जाए तो हम बड़ी मात्रा में होने वाले जल रिसाव को रोक सकते हैं.
स्थिति पर नियंत्रण जरूरी
विकसित देशों में जल राजस्व का रिसाव 2 से 8% तक है, जबकि भारत में यह 10 से 20% तक है यानी इस देश में पानी का बिल भरने की मनोवृत्ति आम जन में नहीं है और साथ ही सरकारी स्तर पर भी प्रतिबंधात्मक या कठोर कानून के अभाव के कारण या यों कहें कि प्रशासनिक शिथिलता के कारण बहुत ज्यादा मात्रा में जल का रिसाव हो रहा है. अगर देश का नागरिक अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की भावना रखते हुए समय पर बिल का भुगतान करे तो इस स्थिति से निबटा जा सकता है, साथ ही संस्थागत स्तर पर प्रखर व प्रबल प्रयास हो तो इस स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है.