‘जी नहीं, ऐसा तो कुछ भी नहीं.’ उस ने सकुचाते हुए कहा पर उसे लगा मानो उस की चोरी पकड़ी गई हो.
उस के बाद उन की दोस्ती बढ़ती ही गई. कनिका को रोनित का साथ बड़ा अच्छा लगता. दोनों का साथ में कौफी पीना, घूमनाफिरना आम बात हो गई थी. ऐसे ही एक दिन जब वे ‘मोहनजोदाड़ो’ फिल्म देखने गए तो शो के छूटतेछूटते रात के 11 बज गए. हौल के बाहर निकल कर घड़ी देखते ही रोनित बोला, ‘कनु, अब इतनी रात में तुम कहां जाओगी, होस्टल तो बंद हो गया होगा.’
‘मैं अपनी मौसी के घर चली जाती हूं, वे होस्टल के पास ही रहती हैं,’ कनिका ने कहा.
‘अब तो वे सो गई होंगी, इतनी रात में कहां उन्हें जगाओगी. ऐसा करो, आज तुम मेरे फ्लैट पर ही रुक जाओ. होस्टल सुबह चली जाना.’
‘नहीं रोनित, तुम्हारे फ्लैट पर कैसे, तुम तो अकेले रहते हो न,’ उस ने अचकचाते हुए कहा.
‘अरे, तो क्या हुआ, मैं तुम्हें खा थोड़े ही जाऊंगा, चलो,’ और रोनित ने हाथ पकड़ कर उसे अपने पीछे बैठा लिया.
वह रोनित से सट कर बैठ गई. रोनित के साथ अकेले रहने की बात सोच कर उसे अंदर ही अंदर थोड़ी घबराहट तो हो रही थी पर रोमांच भी कुछ कम नहीं था. फ्लैट पर पहुंच कर रोनित ने कहा, ‘तुम बैठो, मैं चेंज कर के आता हूं.’
कुछ ही देर में रोनित अपनी नाइट ड्रैस में था. उसे देख कर अचकचाते हुए बोला, ‘अरे, तुम कैसे चेंज करोगी?’ फिर कुछ सोच कर बोला, ‘मेरी टीशर्ट और लोअर पहन लो, एक रात की ही तो बात है, सुबह चेंज कर लेना.’